देश में बनेगी एनडीए की सरकार, बिहार में एनडीए की स्थिति क्या है?
डीएनबी भारत डेस्क
लोकसभा चुनाव के बाद अब चुनाव के परिणाम का इंतजार लोग बड़ी बेसब्री से कर रहे हैं। इधर अलग अलग एजेंसियों ने अपना सर्वे रिपोर्ट जारी किया है और लगभग सभी एजेंसियों के रिपोर्ट के अनुसार नरेंद्र मोदी एक बार फिर से पूर्ण बहुमत के साथ प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
लोकसभा चुनाव को लेकर जारी एग्जिट पोल की मानें तो देश में एनडीए की सरकार जरूर बनेगी लेकिन उम्मीद जताई जा रही है कि बिहार में एनडीए को सीटों का नुकसान होने वाला है। वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में एक एनडीए गठबंधन ने 40 में से 39 सीटों पर जीत हासिल की थी जबकि 2024 में माना जा रहा है कि एनडीए को 4 से 8 सीटों का नुकसान होगा।
बता दें कि लोकसभा चुनाव से पहले इंडिया गठबंधन से नाता तोड़ कर नीतीश कुमार ने भाजपा के साथ मिलकर बिहार में सरकार बनाई थी। कहा जाता है कि बिहार में नीतीश कुमार जिस गठबंधन में रहते उसका पलड़ा भारी हो सकता था। इसी वजह से भाजपा ने भी नीतीश कुमार के साथ बिहार में सरकार बनाया।
इंडिया गठबंधन में प्रधानमंत्री उम्मीदवार के तौर पर भी नीतीश कुमार का नाम आगे आता रहता था तो दूसरी तरफ भाजपा कोई जोखिम मोल नहीं लेना चाहती थी और नीतीश कुमार को एक बार फिर अपने में मिला लिया। अब देखना है कि नीतीश कुमार एनडीए में शामिल होना कितना नुकसानदेह या फायदेमंद साबित होता है या फिर इसका कोई असर एनडीए पर नहीं पड़ता है यह तो चार जून को साफ हो जायेगा।
बिहार एनडीए और घटक दल
बिहार में कुल 40 लोकसभा सीट हैं और एनडीए गठबंधन ने सभी 40 लोकसभा सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे थे। बिहार में एनडीए गठबंधन का नेतृत्व भाजपा कर रही है तो उसका मुख्य सहयोगी दल जदयू है और साथ में है चिराग पासवान की अगुवाई वाली लोजपा(रा), जीतनराम मांझी की अगुवाई वाली पार्टी हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा और उपेंद्र कुशवाहा की राष्ट्रीय लोक मोर्चा। हालाँकि बिहार में एनडीए में पशुपति पारस की रालोजपा भी एनडीए का हिस्सा है लेकिन लोकसभा चुनाव में रालोजपा को एक भी सीट नहीं मिला।
सीट शेयरिंग
बिहार एनडीए का नेतृत्व भाजपा कर रही है और भाजपा ने लोकसभा चुनाव में 17 सीटों पर अपना उम्मीदवार उतारा जबकि मुख्य सहयोगी दल जदयू के खाते में 16 सीटें थी। इसके साथ ही चिराग की लोजपा को 5 सीट मिली थी जबकि उपेंद्र कुशवाहा और जीतनराम मांझी की पार्टी को एक-एक सीट। बात करें वर्ष 2019 की तो उस वक्त भाजपा और जदयू ने बराबर 17 सीटों पर चुनाव लड़ा था जबकि लोजपा को 6 सीटें दी गई थी।
एनडीए को मिलेंगी इतनी सीट
लोकसभा चुनाव के बाद एग्जिट पोल के नतीजों की बात करें तो बिहार में एनडीए को नुकसान होने जा रहा है। 2019 के लोकसभा चुनाव में एनडीए ने 40 में से 39 सीटें जीता था जबकि 2024 के एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार एनडीए को 33-38 सीटें मिल रही है। 2019 लोकसभा चुनाव में एनडीए के अलावा कांग्रेस ने एक मात्र सीट पर जीत हासिल की थी जबकि इस बार के लोकसभा चुनाव में राजद और कांग्रेस बढ़त बनाते हुए दिखाई दे रही है जबकि निर्दलीय प्रत्याशी भी चुन कर संसद जाने वाले हैं।
कांग्रेस को हो सकता है फायदा
चुनाव बाद एग्जिट पोल के आंकड़ों के अनुसार बिहार में भाजपा को कोई नुकसान नहीं हो रहा है जबकि जदयू को 3 से पांच सीटों पर नुकसान होता दिखाई दे रहा है। वहीं कांग्रेस को इस बार एक सीट का फायदा हो सकता है जबकि राजद भी 2 से 5 सीटें जीत सकती है। इसके अलावा 1-3 सीटों पर निर्दलीय प्रत्याशी भी जीत दर्ज कर सकते हैं।
निर्दलीय भी मार सकते हैं बाजी
निर्दलीय प्रत्याशियों की बात करें तो लोकसभा चुनाव के दौरान बिहार में कुछ निर्दलीय प्रत्याशियों ने एनडीए और इंडिया गठबंधन दोनों की नींद हराम किया है। मजबूत दावा पेश करने वाले निर्दलीय प्रत्याशियों की सूची में एक नाम है पूर्णिया लोकसभा सीट से इंडिया गठबंधन से बगावत कर चुनाव लड़ने वाले पूर्व सांसद पप्पू यादव का तो दूसरा नाम है आसनसोल सीट से भाजपा का टिकट ठुकरा कर काराकाट लोकसभा सीट से निर्दलीय चुनाव लड़ने वाले पवन सिंह। माना जा रहा है कि इन दोनों प्रत्याशियों ने एनडीए और इंडिया गठबंधन को जबरदस्त टक्कर दिया है और इनकी वजह से मुकाबला त्रिकोणीय रहा।