बिहार की कानून व्यवस्था पर पीके का तंज, कहा ‘सीएम कुर्सी बचाने में व्यस्त, कानून व्यवस्था के लिए समय ही नहीं’

बिहार में राजद जब भी सरकार में आती है, तो समाज में असमाजिक तत्व बढ़ते हैं, वहीं, नीतीश कुमार अपनी कुर्सी को बचाने और तोड़ने-जोड़ने के चक्कर में लगे रहते हैं, तो कानून व्यवस्था कैसे सुधरेगी: प्रशांत किशोर

डीएनबी भारत डेस्क

 

Midlle News Content

जन सुराज पदयात्रा के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि महागठबंधन बना था तब से लोगों के मन में आंशका है कि कानून व्यवस्था बिहार में बिगड़ेगी। कानून व्यवस्था की स्थिति महागठबंधन से पहले भी बहुत अच्छी नहीं थी। दूसरा कारण यह है कि जो यहां का गृह विभाग है, वो मुख्यमंत्री के अधीन है। कहीं न कहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का फोकस शासन-प्रशासन व्यवस्था पर है नहीं। सीएम अपनी राजनीतिक मजबूरियों के कारण लाभ में पड़े हुए हैं। कभी भागकर इधर, तो कभी पलटकर उधर। जब आपका पूरा समय इसपर लगा हुआ है कि कौन सा राजनीतिक जोड़ बनाएं, किसको जोड़ें, किसको हटाएं, कैसे सरकार बचाएं, कैसे कुर्सी बचाएं, तो आपके पास समय कहां हैं कि आप कानून व्यवस्था देखिएगा।

शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ
प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में कानून व्यवस्था बिगड़ने के लिए दूसरी वजह की है “शराबबंदी का कानून”। सरकार द्वारा ये जो शराबबंदी का कानून लागू किया है, इसे लागू करने से सिर्फ शराब की दुकानें बंद हुईं। लेकिन, घर-घर शराब बिक ही रही है। पूरे प्रशासन की प्राथमिकता शराबबंदी हो गई है। शराबबंदी लागू करो, शराबबंदी हटाओ, शराबबंदी से कमाओ, शराबबंदी को छुपाओ। जब प्रशासन व्यवस्था पूरा शराब पर ही लगा रहेगा, तो सामान्य कानून व्यवस्था की स्थिति बिगड़ेगी ही। तीसरा राजद जब भी किसी गठबंधन में रहा है, तो लोगों का अनुभव व जो लोगों का मानना है कि राजद जब सरकार में रहती है तो असामाजिक तत्वों का मनोबल बढ़ता है। ये चीज हम बिहार में देख रहे हैं कि पिछले चार-पांच महीनों से बिहार में स्थिति और बिगड़ रही है।

- Sponsored -

- Sponsored -