बेगूसराय में गिरने के बाद पुल की जांच में पहुंचे अधिकारियों को ग्रामीणों ने खदेड़ा, घालमेल का आरोप लगा लोगों ने किया हंगामा

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डीएनबी भारत डेस्क 

बेगूसराय से इस वक्त एक बड़ी खबर सामने आ रही है जो ना सिर्फ सरकारी तंत्र पर भ्रष्टाचार का मुहर लगा रही है। बल्कि आम लोगों के लिए अब परेशानी का सबब बन चुका है। इसी दौरान पटना से जांच करने आए पदाधिकारी के सामने लोगों ने जमकर हंगामा किया। आक्रोशित ग्रामीणों ने मौके पर पहुंचे पदाधिकारियों को जांच में घालमेल का आरोप लगाते हुए मौके से खदेड़ दिया। इस दौरान काफी देर तक अफरा-तफरी का माहौल बना रहा। हंगामा देख मौके पर पटना से पहुंचे नावार्ड के नोडल पदाधिकारी सहित अन्य विभागीय पदाधिकारी भागने लगे।

लोगों का आरोप है कि पदाधिकारियों के द्वारा सिर्फ खानापूर्ति की जा रही है जबकि गिरा हुआ पुल स्थानीय लोगों के लिए बहुत महत्व रखता था और गनीमत थी कि सुबह के समय हादसे के वक्त पुल पर कोई व्यक्ति नहीं था अन्यथा बड़ा हादसा हो सकता था। बताते चलें कि साहेबपुरकमाल प्रखंड के विष्णुपुर आहोक के समीप गंडक नदी पर बना पुल आज सुबह एकाएक टूटकर नदी में विलीन हो गया।

गौरतलब है कि विष्णुपुर आहोक एवं साहेबपुरकमाल को जोड़ने वाली यह अकेला पुल था साथ ही साथ इस पुल के सहारे बेगूसराय जिले के बखरी, गढ़पुरा एवं मुंगेर जिले के कुछ इलाकों के साथ-साथ खगड़िया जिला के लोग भी आवागमन करते थे । अब यहां के आम लोग एक बार फिर नाव के सहारे आर पार करने को विवश हो रहे हैं। दरअसल साहेबपुरकमाल प्रखंड के समीप विष्णुपुर आहोक गंडक घाट पर बना पुल आज ध्वस्त हो गया। मिली जानकारी के अनुसार तकरीबन 206 फुट लंबी एवं 8 फुट चौड़ी इस पूल को बनाने मे 14 करोड़ खर्च किए गए थे और वर्ष 2017 से इस पर परिचालन शुरू किया गया था।

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हालांकि एप्रोच पथ के अभाव में अभी तक इस पुल का ना तो विधिवत उद्घाटन हुआ था और ना ही इस पर कोई बड़ी गाड़ियां चल रही थी। लेकिन स्थानीय लोगों की मानें तो इस पर लोकल ट्रैक्टर एवं अन्य गाडियां जरूर गुजरती थी, साथ ही साथ पैदल आवागमन इस पर किया जाता था। मिली जानकारी के अनुसार पिछले 2 महीनों से इस पुल में दरार आनी शुरू हो गई थी। लेकिन लोगों का परिचालन अनवरत जारी था और आज सुबह एकाएक यह पुल पाया नंबर दो और तीन के बीच से टूटकर नदी में विलीन हो गई। गनीमत यह रही कि उस वक्त पुल पर कोई बड़ी गाड़ी या लोग मौजूद नहीं थे नहीं तो किसी बड़े घटनाक्रम से भी इनकार नहीं किया जा सकता है।

अब यहां सवाल उठाने लगे हैं कि 14 करोड़ की लागत से बना यह पुल 14 महीने तक भी लोगों को सुविधा नहीं मिल पाई जो कहीं ना कहीं पुल की गुणवत्ता पर सवाल खड़े कर रही है। लोगों के माने तो उक्त पुल के निर्माण में लगी कंस्ट्रक्शन कंपनी और स्थानीय जनप्रतिनिधियों के घालमेल की वजह से इसके निर्माण में गुणवत्ता की अनदेखी की गई। लोगों का कहना है कि पुल में कम से कम 32 एमएम के छड़ का प्रयोग होता है लेकिन इस पुल के निर्माण में मात्र 8 एमएम के सरिया का प्रयोग किया गया था। साथ ही साथ सीमेंट के प्रयोग में भी लापरवाही बरती गई थी। फिलहाल पुल गिरने की वजह जो भी हो लेकिन अब स्थानीय लोगों के लिए यह एक बड़ा परेशानी का सबब बन चुका है और लोग एक बार फिर नाव के सहारे गंडक आर पार करने को विवश है।

हालांकि पुल गिरने के बाद स्थानीय स्तर पर पदाधिकारी पहुंचकर पुल के दोनों तरफ से बैरिकेटिंग लगा चुके हैं एवं यातायात पूरी तरह बाधित कर दी गई है। वही पदाधिकारियों ने स्थल पर पहुंचकर जांच की और जांच के बाद दोषी पाए जाने वाले व्यक्तियों पर कार्रवाई की बात कही है। पदाधिकारियों ने भी माना है कि पुल निर्माण में उपयुक्त मानक का प्रयोग नहीं किया गया और इसकी विस्तृत जांच की जा रही है।

बेगूसराय से सुमित कुमार (बबलू)

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