महाकवि कालिदास भारत के पहले राष्ट्र कवि हुए हैं –डॉ जनार्दन चौधरी
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के सिमरिया कल्पवास कार्तिक मास में सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमरिया धाम में महाकवि कालिदास जयंती समारोह गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज के सानिध्य में मनाया गया। समारोह को संबोधित करते हुए मुख्य अतिथि सह सरायरंजन कालेज के हिन्दी विभागाध्यक्ष डॉ जनार्दन चौधरी ने कहा कि कालीदास ही वास्तव में भारत के पहले राष्ट्र कवि हुए जिन्होंने भारत की संस्कृति, प्रकृत्ति का समग्रता से वर्णन किया।कवि कालिदास को मिथिला वासी अपना गुरु भाई भी कहते हैं।
समारोह में विशिष्ट अतिथि डॉ सचिदानंद पाठक ने कहा कि कालीदास भारतीय एकता के साधक थे भारतीयत्व के सम्पादक थे,सर्ववाणी परिष्कारक थे। समारोह में सम्मानित अतिथि राम किंकर सिंह ने कहा कि महाकवि कालिदास से प्रेरणा लेकर हम अपने जीवन में ज्योति जला सकते हैं। समारोह में मुख्य वक्ता प्रो अवधेश कुमार झा ने कहा कि विश्व के समस्त साहित्यकारों में सर्वश्रेष्ठ कवि, साहित्यकार महाकवि कालिदास हैं।समारोह में डॉ जनार्दन चौधरी, डॉ सचिदानंद पाठक, डॉ विजय कुमार झा, डॉ घनश्याम झा, प्रो अवधेश कुमार झा,राम किंकर सिंह जी ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया।
इससे पूर्व सभी आगत अतिथियों को मिथिला परम्परा के अनुसार वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के निदेशक डॉ विजय कुमार झा तथा सचिव सुधीर चौधरी ने पाग चादर और पुष्पहार से सम्मानित किया। समारोह का संचालन करते हुए वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डॉ घनश्याम झा ने कहा कि कालीदास कालजयी कवि थे । उन्हें सामान्य व्यक्ति समीक्षा कर ही नहीं सकता।कवि कालिदास काल को भी पराजय कर सकते थे ऐसे कवि हैं कालीदास। उन्हें परिचय के परिधि में बांध नहीं सकते हैं।
समारोह में प्रो अवधेश कुमार झा द्वारा लिखित “गुरु वन्दना”का विमोचन वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान के अध्यक्ष डॉ घनश्याम झा, निदेशक डॉ विजय कुमार झा, सचिव सुधीर चौधरी,सह सचिव प्रो पी के झा “प्रेम”, मुख्य अतिथि डॉ. जनार्दन चौधरी, विशिष्ट अतिथि डॉ सचिदानंद पाठक सम्मानित अतिथि राम किंकर सिंह ने संयुक्त रूप से किया। समारोह में सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ के सचिव दिनेश प्रसाद सिंह, आचार्य नारायण झा,विनय कुमार झा,ई मनोहर सिंह, अभिजीत वत्स, राजीव कुमार, श्याम सनातन,राम भारद्वाज, लक्ष्मण जी, सदानंद, रंजना दीदी,सर्वमंगला के व्यवस्थापक रविन्द्र ब्रह्मचारी तथा विद्वान विचारक प्रो फूलेश्वर बाबू भी उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट