शिक्षा ही जीवन की सार्थकता, जरूरत है बच्चों को इसके मूल्यों को समझने की – मुख्य पार्षद बबीता देवी

संबंध संस्था का ही प्रयास है कि आवासीय विद्यालय के बच्चों में कला खिलखिला उठी है - भूमीपाल राय

संबंध संस्था का ही प्रयास है कि आवासीय विद्यालय के बच्चों में कला खिलखिला उठी है – भूमीपाल राय

डीएनबी भारत डेस्क 

शिक्षा ही बच्चों का जीवन है और जीवन को सार्थकता के साथ जीने के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है शिक्षा। शिक्षा के साथ साथ ही बच्चों में कला, संस्कृति, पारंपरिक, संस्कार, लोक गीत, लोक नृत्य, शास्त्रीय नृत्य, शास्त्रीय संगीत, खेल, ताइक्वांडो सहित विभिन्न क्षेत्रों में भी हमारे बच्चे आगे बढ़ रहें हैं। आवश्यकता है संबंध संस्था, मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट जैसी संस्थाओं का सहयोग प्राप्त कर समाज के अभिवंचित, समाज के अंतिम पायदान पर खड़े बच्चों को जोड़कर उनके भविष्य और जीवन को संवारने की।

जिसको संवारने और निखारने का काम विद्यालय प्रांगण में अवस्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय केशावे के बच्चों के लिए विद्यालय के प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर कुमार एवं मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट के प्राचार्य अशोक कुमार पासवान कर रहे हैं। उक्त बातें सोमवार को बरौनी प्रखण्ड क्षेत्र अन्तर्गत केशावे विद्यालय परिसर स्थित डेजी सिंह स्मृति सभागार में दस दिवसीय कार्यशाला के समापन समारोह को सम्बोधित करते हुए मुख्य अतिथि सह मुख्य पार्षद नगर परिषद बीहट बबीता देवी ने कहीं।

वहीं समारोह को संबोधित करते हुए पूर्व एमएलसी भुमीपाल राय ने कहा कि संबंध संस्था, मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट का ही प्रयास है कि दस दिनों में कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय केशावे के बच्चों में कला खिलखिला उठी। इस कार्यशाला के माध्यम से विलोपित हो रहे देवी गीत, बिरहा गीत, पारम्परिक गीत, लोक नृत्य को ना केवल जागृत किया गया है बल्कि नई पीढ़ी को इससे सिखने का अवसर भी प्रदान किया गया है।

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वहीं कार्यशाला का संचालन करते हुए संयोजक सह प्रधानाध्यापक चंद्रशेखर कुमार ने कहा कि इस तरह के कार्यशाला से पारम्परिक संस्कृति का संरक्षण, बच्चों में साकारात्मक विचार का विकास होता है तथा विलोपित हो रही संस्कृति को बचाने का प्रयास किया जाता है। वहीं कार्यशाला को पूर्व उप प्रमुख सह पंसस डा रजनीश कुमार सहित अन्य वक्ताओं ने भी संबोधित किया।

वहीं कार्यशाला में आए मुख्य अतिथि सहित सभी आगत अतिथियों को पुष्प और अंगवस्त्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम के संयोजक सह प्राचार्य मिथिलांचल संगीत महाविद्यालय बीहट अशोक कुमार पासवान एवं नृत्य गुरु पंडित कृष्ण मोहन गिरी, हरमोनियम वादक प्रदीप मंगोतिया, मशहूर तबला वादक सिकंदर महाराज के निर्देशन में बच्चों ने ग्रुपिंग, एकल नृत्य, शास्त्रीय नृत्य,, शास्त्रीय संगीत, पारम्परिक गीतों की प्रस्तुति देकर सबों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

वहीं इस दौरान दर्शकों ने अपनी करतल ध्वनियों से बच्चों एवं कलाकारों के हौंसला में अफजाई करते रहे। दस दिवसीय कार्यशाला के प्रशिक्षक माधुरी कुमारी, निशू कुमारी, कशिशी कुमारी, रुपाली कुमारी ने अपने कौशल के माध्यम से अभिवंचित बच्चों में छपी हुई कला और प्रतिभा को पहचाना और उनमें नई जिंदगी भर दी।

मौके पर तबला वादक मुन्ना, सचिव जिला कबड्डी संघ श्यामनंदन सिंह पन्नालाल, अध्यक्ष बरौनी पत्रकार संघ बिपीन राज़, रामानन्द यादव, सुनील कुमार, राज़ कुमार, वरिष्ठ शिक्षिका नेहा कुमारी, शिक्षक अरविंद कुमार सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यशाला में सिमपी, संध्या, चांदनी, शिवानी, वर्षा, मुनमुन, प्रियम, भैरवी, शालू, सोनम, पूजा, प्रीति, शांभवी, उर्वशी, काजल, मौसम, छोटी, अमृता,समता, किरण, पल्लवी सहित अन्य बाल कलाकारों ने अपनी जलबा बिखेरे।

वहीं कार्यशाला में ले ले अईह हो पिया सिंदूरा बंगाल से……, पनीयां के जहाज से पलटनीयां बनी अईह पिया …….., कैसे गोदाईव गोधनवा……स्वागत गान, लोक गीत, बीरहा, जट जटीन, सहित अन्य गीतों एवं नृत्यों पर दर्शकों को खूब झुमाया बाल कलाकारों ने।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार 

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