शव की नहीं हुई शिनाख्त तो खगड़िया में दोनों शवों को घसीटते हुए नदी में फेंका, सोसल मिडिया पर विडियो वायरल

खगड़िया जिला के पसराहा एवं मानसी थानाध्यक्ष ने कहा ऐसी कोई घटना हमारे क्षेत्र में नहीं हुई है। पोस्टमार्टम के बाद क्या हुआ वह सदर अस्पताल कर्मी बताएं।

खगड़िया जिला के पसराहा एवं मानसी थानाध्यक्ष ने कहा ऐसी कोई घटना हमारे क्षेत्र में नहीं हुई है। पोस्टमार्टम के बाद क्या हुआ वह सदर अस्पताल कर्मी बताएं।

डीएनबी भारत डेस्क 

खगड़िया जिला के पसराहा थाना क्षेत्र अंतर्गत स्थित बगुलवा ढ़ाला के समीप ट्रक ने एक व्यक्ति को कुचल दिया था, जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। मृतक की पहचान नहीं हो सकी और पसराहा थाना पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल खगड़िया भेज दिया।

वहीं दूसरी घटना में कटिहार-बरौनी रेलखंड के मानसी स्टेशन के आउटर सिग्नल के बाहर राजाजान गांव के समीप ट्रेन से गिरकर एक व्यक्ति की मौत हो गई। इस मामले में भी मृतक की पहचान नहीं हो पाई और मानसी पुलिस ने शव को कब्जे में लेकर पोस्टमार्टम के लिए सदर अस्पताल खगड़िया भेज दिया।

वहीं दोनों घटनाओं में एक आश्चर्यचकित एवं मानवता को शर्मसार करने वाली तस्वीर सामने आई है। 72 घंटे बीत जाने के बाद भी दोनों शव का शिनाख्त नहीं हो पाने के बाद एंबुलेंस से शव को उतारकर घसीटते हुए नदी में फेके जाने का सोसल मीडीया पर विडियो वायरल ने खगड़िया जिला सहित पूरे प्रदेश में सनसनी फैला दी है।

ऐसे मामलों में क्या है प्रावधान हैं।

जानकारों के मुताबिक बिहार राज्य के सभी जिला के प्रत्येक थाना को अनटाइड फंड में मुख्यमंत्री योजना से 10 हजार रुपए प्रति माह आवंटित किए जाते हैं। इससे थाना में रजिस्टर, पेपर, कार्बन, पेन की खरीद के अलावा लावारिस लाश का दाह संस्कार भी किया जाना रहता है। अगर लावारिस लाश की संख्या बढ़ती है तो दाह संस्कार कराने पर आवंटन बढ़ाया भी जाता है।

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एक्सपर्ट के अनुसार – मृतक का अंतिम संस्कार तो मौलिक अधिकार है।

सिविल कोर्ट के वरीय अधिवक्ता अजिताभ सिन्हा ने बताया कि लावारिस लाश को लेकर सुप्रीम कोर्ट और मानवाधिकार आयोग का स्पष्ट निर्देश है। दोनों जगहों से यह बताया गया है कि व्यक्ति की गरिमा उसकी मृत्यु के बाद भी बनी रहती है। इसलिए मृत्यु के बाद भी आप किसी के विषय में गलत बातें नहीं कर सकते हैं। फिर मृतक का अंतिम संस्कार तो मौलिक अधिकार है। इसलिए मृतक का पूरे विधि विधान से दाह संस्कार किया जाना चाहिए। अगर लावारिस लाश को बगैर दाह संस्कार के फेंका जा रहा है। तो यह जांच और कार्यवाई का विषय है।

मानसी थानाध्यक्ष निलेश कुमार की मानें तो –

लावारिस शव के दाह-संस्कार के लिए कोई राशि नहीं मिलती है। आत्मनिर्भरता मद से कुछ दिया जाता है। उसमें कुछ लिमिट नहीं है कि कितनी राशि दी जाती है। मेरे थाना क्षेत्र में कोई लावारिस लाश को घसीट कर नदी में नहीं फेंका गया है।

पसराहा थानाध्यक्ष अमलेश कुमार ने कहा – 

बरामद लावारिस शव की पहचान नहीं होने के बाद शव मैंने पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया। उसके बाद शव का क्या किया गया हमें नहीं पता वो अस्पताल के कर्मी जानें।

नोट- सोसल मीडिया पर वायरल विडियो के सत्यता की पुष्टि डीएनबी भारत की टीम नहीं करती है।

खगड़िया संवाददाता राजीव कुमार 

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