वेदी की तीन सदस्यीय टीम ने बांधा निर्गुण का अद्भुत शमां, मैं प्रेम घर भूली, सखी री कहां जाऊं…

दिल्ली के तीन सदस्यीय कलाकारों ने कहानियों और संगीत के माध्यम से की निर्गुण की खोज।

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दिल्ली के तीन सदस्यीय कलाकारों ने कहानियों और संगीत के माध्यम से संभव है निर्गुण की खोज।

डीएनबी भारत डेस्क

बाल रंगमंच आर्ट एंड कल्चरल सोसायटी के बैनर तले मध्य विद्यालय बीहट में संगीत एवं कहानियों के माध्यम से निर्गुण की खोज कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस मौके पर वेदी सिन्हा और पाखी सिन्हा ने सुमंत बाल कृष्णा के संगीत की धुन पर निर्गुण का ऐसा अद्वितीय कार्यक्रम प्रस्तुत किया, जैसा आज तक बेगूसराय के लोगों ने ना तो कभी देखा था और ना ही कभी सुना था।

करीब छह वर्ष पूर्व आह्वान के बैनर तले निर्गुण की खोज यात्रा पर देश के विभिन्न हिस्सों में गांव-गांव जा रही वेदी सिन्हा की टीम बिहार में दूसरा कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही थी। आज आधुनिकता के इस दौर में जब लोग पॉप संगीत, रॉक संगीत, डीजे और आर्केस्ट्रा में उलझे हुए हैं तो ऐसे दौर में भी कुछ कलाकार ऐसे हैं जो पौराणिक काल से चले आ रहे निर्गुण को नई ऊंचाई दे रहे हैं। ऐसे ही कलाकारों की एक टीम आह्वान वेदी सिन्हा के नेतृत्व में बुधवार की रात बेगूसराय के बीहट पहुंची।

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यहां उन्होंने कबीर के भक्ति कालीन निर्गुण को प्रस्तुत किया। जिसमें बताया कि नीमकी नाम की एक नन्हीं चिड़िया को उसकी मां ने बचपन से ही सिखाया था कि दुनिया प्रेम, एकता और इंसानियत के बल पर चलती है। लेकिन निमकी ज्यों-ज्यों उड़ान भड़ती तो उसे पता चलता गया कि आज के दौर में ना कहीं प्रेम है, ना एकता और इंसानियत। बदले में उसे हर कदम पर, हर ओर ईर्ष्या और द्वेष से भरा संसार दिख रहा था।

वेदी सिन्हा के आह्वान की टीम ने अपने कार्यक्रम के दौरान बता दिया कि ‘कबीरा खड़ा बाजार में लिया लुकाठी हाथ जो घर फूंके आपना वो चलो हमारे साथ।’ निर्गुण की शुरुआत उन्होंने ‘पी ले अमीरस धारा’ से किया। यह एक लोक निर्गुण गीत था जो इस ब्रह्माण्ड में उपस्थित ज्ञान और प्रेम की वर्षा का उल्लेख करता है और बताता है कि यह प्रेम वैसे तो किसी को नहीं मिलता पर जो सचमुच खोजी है, उसके लिए यह हर जगह है और अथाह है। अंतिम और नौवें गाना ‘भला हुआ जो मटकी फूटी’ ने बताया कि संत कबीर का यह गाना बाह्य आडंबर और सही गलत की सामाजिक धारणाओं को तोड़, अपने प्रेम पथ पर चलने की बात कहता है। यह गाना प्रेम की परिभाषा पर भी सवाल उठाता है।

संगीत और कहानी के माध्यम से आयोजित निर्गुण खोज के इस कार्यक्रम में उपस्थित सैकड़ों बच्चे ही नहीं, अन्य सामाजिक कार्यकर्ता और बुद्धिजीवी, शिक्षाविद भी इस तरह से पहले कार्यक्रम से आत्ममुग्ध हो गए। कार्यक्रम का शुभारंभ भारद्वाज गुरुकुल के निदेशक शिवप्रकाश भारद्वाज, मध्य विद्यालय बीहट प्रधान रंजन कुमार, वेदी सिन्हा की तीन सदस्यीय टीम, शिक्षिका अनुपमा कुमारी, बाल रंगमंच के निर्देशक ऋषिकेश कुमार, द फैक्ट के निर्देशक प्रवीण कुमार गुंजन एवं वरिष्ठ रंगकर्मी गणेश गौरव ने ज्ञान दीप प्रज्वलित कर किया। इस अवसर पर आशीर्वाद रंगमंडल के निदेशक अमित रौशन, सामाजिक कार्यकर्ता रामकृष्ण, श्याम नंदन सिंह पन्नालाल सहित अन्य उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ कुंदन कुमार ने किया।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार 

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