बेगूसराय जिला के बारो में हुआ आर्य राष्ट्र रक्षा महासम्मेलन

विद्वानों ने देश के भीतर रहने वालों गद्दारों से किया सावधान

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विद्वानों ने देश के भीतर रहने वालों गद्दारों से किया सावधान।

डीएनबी भारत डेस्क

आर्य समाज बारो का चारदिवासीय 87वें आर्य महासम्मेलन के अंतिम दिन राष्ट्र रक्षार्थ सम्मेलन का आयोजन हुआ।रविवार की देर रात तक देश के कई हिस्से से आये विद्वानों ने देशहित में अपने क्रांतिकारी विचार रखे। यूपी से आये वैदिक प्रवक्ता आचार्य योगेश भारद्वाज ने कहा कि राष्ट्र को चीन, पाकिस्तान, बांग्लादेश आदि देशों से ज्यादा खतरा भारत देश के अंदर रहने वाले गद्दारों से है। कहते हैं हिन्दू मुस्लिम सिख इसाई, आपस में सब भाई भाई तो फिर तलवार क्यों निकालते हैं। इतिहास गवाह है कि गद्दारों ने ही देश के महापूरुषों, वीर सपूतों, राजा महाराजा की हत्या कराई। राष्ट्र निर्माण में अग्रणी भूमिका निभाने वाले महर्षि दयानंद की भी हत्या षड़यंत्र के तहत हुई। बिहार में हर क्षेत्र में विद्वानों की कमी नहीं है लेकिन यहां उचित सम्मान नहीं मिलने के कारण लोग विदेश पलायन कर रहे हैं।

अंग्रेजों ने भारत की गुरुकुल शिक्षा व संस्कृति नष्ट कर शासन किया। हमलोग जात पात, ऊंच नीच, अमीर गरीब के चक्कर में पर कर गुलामी सहने के आदी हो चुके हैं।उन्होंने साफ तौर पर कहा कि आज के युवा गुमराह है।
यूपी विजनौर से आये वैदिक वक्ता पंडित योगेश दत्त ने आरोप लगाया कि भारत में गौ को माता की तरह पूजा की जाती है। लेकिन कई हिस्सों में इसके मांस को खाकर भावना को ठेस पहुंचाया जाता है। वर्तमान समय में बच्चों में पश्चिमी सभ्यता का असर तेजी से विकसित हो रहा है। खान-पान, रहन-सहन, सोच आदि विकसित हुआ है। आने वाले दिनों में अभिवावक को इसका खामियाजा भुगतना पड़ेगा।

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उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ कार्यक्रम स्वामी दयानंद सरस्वती के सिद्धांतों का असर है। भ्रूण हत्या का विरोध करते हुए स्वामी दयानंद ने कहा था कि यह प्राण हत्या के समान है। संस्कार के अभाव में माता पिता व बच्चों का चरित्र अंग्रेजों के जैसी हो गयी है। गुरुकुल व्यवस्था में लोग जाना नहीं चाहते हैं। इसका असर सामने है। लड़के लड़कियां बचपन से ही स्वतंत्र दिखते हैं। माता पिता के सभी निर्णयों का विरोध किया जाता है। उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद का सम्पूर्ण जीवन अनुकरणीय है। आर्य समाज में सिद्धांत को वरीयता दी जाती है।कथनी और करनी पूर्ण वैज्ञानिक सोच और पद्धति पर आधारित है। उन्होंने कहा कि मरने के बाद स्वर्ग और नरक की कल्पना नहीं करनी चाहिए। सभी परिणाम इसी जीवन में मिलता है।

यूपी के बरेली से आये सत्यदेव शास्त्री व दानापुर से आये सत्यप्रकाश आर्य ने अपने देश भक्त व प्रेरणादायी भजनों के माध्यम से भारत का संविधान योजना बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, दहेज प्रथा, सतीप्रथा ,बाल विवाह,भुर्णहत्या आदि की रोकथाम की ताकतें स्वामी दयानंद से मिलने की बात बताई। आर्य समाज जीवन जीने की कला बताती है। उन्होंने कहा कि जीवन को स्वर्ग बनाना चाहते हो तो पहले स्वयं से शुरू करो। घर के अंदर गृहस्थ जीवन में भाषण देने की नहीं आचरण, पवित्रता, विचार व्यवहार से परिवर्तन करने की जरूरत है।

पटना से पधारे क्रन्तिकारी कवि आचार्य संजय सत्यर्थी ने अपने कविता से ज्वलन्त समस्याओं के प्रति लोगों को संवेदनशील बनाने की चर्चा की। आचार्य अरुण प्रकाश,डॉ अशोक कुमार गुप्त,डॉ रंजना सिन्हा, डॉ ममता, डॉ एस पंडित, मेघराज बीएड काॅलेज बरौनी प्राचार्य नवीन कुमार, पूर्व मुख्य पार्षद राजेश कुमार टूना आदि ने भी विचार व्यक्त करते हुए राष्ट्र रक्षा में स्वामी दयानंद सरस्वती की भूमिका को बताया। मौके पर बिहार प्रदेश आर्य सभा के प्रधान डॉ बच्चू लाल आर्य(गया), शिवनंदन आर्य, इंद्रदेव दिवाकृति, राज किशोर आर्य, बेगूसराय जिलाध्यक्ष शिवजी आर्य,
मंत्री रविन्द्र आर्य, रामदेव आर्य, कैलास आर्य, श्याम आर्य,राजन आर्य, राजेन्द्र आर्य, संतोष आर्य, सुशील राणा, धर्मेंद्र आर्य, गढ़हरा मंत्री प्रेम कुमार आर्य, रंजीत कुमार, गोविंद आर्य, विष्णु आर्य आदि मौजूद थे।

पर्व त्योहार की तरह जुटते हैं बारो में आर्य समाजी परिवार

पर्व त्योहार की तरह बारो में लोग जुटते हैं। देश के कई हिस्से में रहने वाले आर्य परिवारों का आगमन आर्य समाज के वार्षिक महोत्सव में होता है। यहां की यह परंपरा बनी हुई है। आर्य समाज के वार्षिक अशिवेशन को लेकर बारो में महाकुंभ का नजारा बना रहा। वैदिक पताका से पूरे संपर्क पथ व बाजार को सुसज्जित किया जाता है। चारो ओर वैदिक मंत्रोच्चारण से गुंजायमान रहा।

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