सतसंग और भागवत भजन मनुष्य के जीवन में मोक्ष व मुक्ति का सबसे सुगम मार्ग है:- विजया लक्ष्मी

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सत्संग में वही प्राणी पहुंचता है जिस पर ईश्वर की कृपा होती है – गिरीसा नन्द महराज

डीएनबी भारत डेस्क 

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बेगूसराय जिले के बछवाड़ा प्रखण्ड क्षेत्र के रानी 03 पंचायत के श्री राम राज समृति भवन परिसर में आयोजित सात दिवसीय श्री राम कथा के छठे दिन कटिहार से पधारे गिरीसानंद महराज ने अपने प्रवचन के दौरान उन्होंने कहा कि धर्म कार्य करने से जो मनुष्य को जो पुण्य की प्राप्ति होती है उसकी कभी समाप्ति नहीं होती है,इसलिए हमेशा धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए। जो मनुष्य धर्म के मार्ग पर चलता है उसे मोक्ष प्राप्त होता है। सत्संग में वही प्राणी पहुंचता है जिस पर ईश्वर की कृपा होती है। बिना ईश्वर की कृपा के कोई भी प्राणी सत्संग में नहीं पहुंच सकता है। ईश्वर की कृपा किसी भी प्राणी पर तब होती है जब ईश्वर प्रसन्न होते हैं। ईश्वर को प्रसन्न करने का एक ही सुगम रास्ता भक्ति और भागवत भजन है। कोई भी प्राणी हृदय से अगर भागवत भजन करता है उस व्यक्ति पर ईश्वर की असीम कृपा बनी रहती है। असली संत वही है जो दूसरों के कल्याण के लिए अपनी जान देने से भी पीछे नहीं हटता है। मृत्यु से भयभीत रहने वाला व्यक्ति भक्ति को प्राप्त नहीं कर सकता है। उन्होंने कहां जिस पुरुष के पास भक्ति व सत्संग की पूंजी है उसे कोई पराजित नहीं कर सकता है।  व्यक्ति वेश से नहीं चरित्र से संत होता है चरित्र से बना संत महान होता है। संत का काम सिर्फ अपना कल्याण नहीं बल्कि संपूर्ण समाज और विश्व का कल्याण करना होता है। जो व्यक्ति संपूर्ण समाज व विश्व कल्याण की बात करता है वही महान संत होता है। संत बनने के लिए प्रभु का सेवक बनकर उनकी अराधना करनी चाहिए। सेवक का धर्म है प्रभु कि भक्ति के साथ साथ लोगो को धर्म के राह पर चलने के लिए प्रेरित करना। उन्होंने कहा कि कलयुग में ईश्वर को खुश रखना सबसे आसान और सहज है। सतयुग में प्राणी तप और तपस्या के बल पर परमात्मा को प्राप्त करते थे। वही त्रेता युग में यज्ञ और पूजा के बल पर परमात्मा को प्राप्त करते थे। द्वापर में जप और तप के माध्यम से भगवान की कृपा प्राप्त करते थे लेकिन कलयुग में प्राणी को भगवान की भक्ति प्राप्त करने के लिए सच्चे मन से ईश्वर की अराधना करते हुए धर्म के मार्ग पर चलकर गरीब निःसहाय लोगो की सेवा करना व समाज कल्याण के लिए कार्य करने से ही परमात्मा खुश हो जाते है और प्राणी का कल्याण हो जाता है।  इसलिए मानव प्राणी को जीवन के इस अमूल्य पूंजी को व्यर्थ में नहीं गंवाना चाहिए। वही गोरखपुर से पधारे मानस कोकिला विजया लक्ष्मी ने अपने प्रवचन के दौरान कहा कि सतसंग और भगवत भजन मनुष्य के जीवन में मोक्ष व मुक्ति का सबसे सुगम मार्ग है। विकट परिस्थिति में प्रभु का नाम स्मरण करने मात्र से ही मनुष्य की सारी बाधाऐ दुर हो जाती है साथ ही मन का कलेश भी दुर हो जाता है। मौके पर दीपक मिश्र,गोपाल मिश्र,ओम प्रकाश,सुनील कुमार झा,मोहन झा,अनिल कुमार झा,श्याम सुन्दर झा,मधु शंकर झा,फुलकान्त झा समेत हजारों की संख्या भक्त जन मौजूद थे।

बेगूसराय बछवाड़ा से सुजीत कुमार 

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