कार्तिक कल्पवास में जो भी भक्त, श्रद्धालु तपस्या करते हैं वो दैहिक, दैविक व भौतिक ताप से मुक्त होते हैं- स्वामी चिदात्मन जी महाराज

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डीएनबी भारत डेस्क 

कार्तिक कल्पवास में जो भी भक्त श्रद्धालु तपस्या करते हैं वो दैहिक, दैविक, भौतिक ताप से मुक्त होते हैं। उक्त बातें बुधवार को सर्वमंगला ज्ञान मंच से अधिष्ठाता करपात्री अग्निहोत्री स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कही। उन्होंने कहा कि जो सनातन धर्मावलंबी है उनकी पांच पहचान है शिखा, सूत्र, गोत्र, वेद, और कर्म। जब हम शिखा हीन होते हैं तो हमारे सोचने समझने की ऊर्जा समाप्त हो जाती है। भौतिक अनुसंधान और आध्यात्मिक अनुसंधान में वेद में कहा गया है कि तुम शिखा जरूर रखो, कोटा संस्कार उपनयन संस्कार संस्कार द्वैत है। धर्म के चार चरण होते हैं, सत्य, दया और दान। जो धर्म के रहस्य को समझते हैं वह इस लोक को भी समझते हैं और उस लोक को भी समझते हैं।

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सुखदेव ऋषि कहते हैं, संस्कार से गर्व की शुद्धि होती है। संसार में मां से बड़ा कोई नहीं और दूसरा संसार में पृथ्वी मैया से बड़ा कोई नहीं। यज्ञ करने से क्या होता है, यज्ञ करने से पृथ्वी शुद्ध होती है, वायु हवा शुद्ध होते हैं। क्षितिज, जल पावक गगन समीरा पंचतत्व से अधम शरीरा इसलिए हमारी आत्मा की शुद्धि यज्ञ करने से होती है। मौके पर रविन्द्र ब्रह्मचारी, निलमणी, राम, श्याम, लक्ष्मण सहित अन्य उपस्थित थे।

बेगूसराय से धर्मवीर

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