बिहार की शिक्षा व्यवस्था पर प्रशांत किशोर ने कसा तंज, कहा – भ्रम में मत रहिए कि बिहार के लड़के बिहार में पढ़कर IAS-IPS बन रहे हैं

 

बिहार के बच्चे IAS-IPS तो बन रहे हैं लेकिन पटना यूनिवर्सिटी से नहीं बल्कि दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़कर

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय: जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि बिहार में बैठकर बहुत सारे लोग अपना पीठ थपथपाते हैं कि हमारे बहुत सारे बच्चे IAS-IPS बनते हैं। लोगों को ऐसा लगता है कि पूरे देश में IAS-IPS बिहार के ही हैं। कई लोगों को ये भी लगता है कि जितने IIT और मेडिकल में बच्चे जा रहे हैं वे सभी बिहार के ही हैं। ये सही है कि काफी संख्या में बिहार में बच्चे IIT, मेडिकल में जाते हैं, IAS-IPS बनते हैं। लेकिन, जो लोग IAS-IPS बन रहे हैं वे बिहार की शिक्षा व्यवस्था से जुड़े नहीं हैं, दूसरे राज्यों में पढ़कर IAS-IPS बन रहे हैं।

आप इस भ्रम में मत रहिए कि बिहार के लड़के बिहार में पढ़कर IAS-IPS बन रहे हैं। 70 के दशक में पहली बार इलाहाबाद यूनिवर्सिटी और पटना यूनिवर्सिटी के लड़कों ने दक्षिण के राज्यों को चुनौती दी और बिहार के बच्चे IAS-IPS बने। तब इलाहाबाद यूनिवर्सिटी, पटना यूनिवर्सिटी और दिल्ली यूनिवर्सिटी से सबसे ज्यादा स्टूडेंट्स IAS-IPS बनते थे। धीरे-धीरे जैसे इलाहाबाद यूनिवर्सिटी कमजोर हुआ, पटना यूनिवर्सिटी तो बर्बाद ही हो गई है, एक तरह से अब ज्यादातर बच्चे दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़कर बन रहे हैं।

बिहार और यूपी के बच्चे IAS-IPS तो बन रहे हैं, लेकिन दिल्ली यूनिवर्सिटी से पढ़कर। पटना कॉलेज, साइंस कॉलेज से पढ़कर IAS-IPS बनने वालों की संख्या नगण्य है।

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बिहार से श्रम, बुद्धि और पूंजी का हो रहा पलायन: प्रशांत किशोर

प्रशांत किशोर ने कहा कि यहां से बुद्धि का पलायन हो रहा है। 10वीं-12वीं तक जिन बच्चों में काबिलियत है उनके अभिभावक कर्ज लेकर, पेट काटकर बच्चों को दूसरे राज्यों में भेज रहे हैं और वो बच्चे वहीं पर सेटल हो रहे हैं। वे बच्चे वापिस बिहार में नहीं आ रहे हैं। ऐसे में जो गरीब है, श्रम कर सकता है वो रोजी-रोजगार के लिए बाहर मजदूरी करने चला गया। जो बुद्धि से मजबूत है वो बाहर नौकरी करने चला गया। जिसके पास पूंजी है वो पूंजी उन लोगों के साथ भी दूसरे राज्यों में चली गई।

ऐसे में जो लोग यहां बच रहे हैं वो ज्यादातर लोग ऐसे हैं जो सरकारी सुविधा, सरकार की मदद पर आश्रित हैं। चाहे वो नाली गली हो, 400 रुपए पेंशन हो, 5 किलो अनाज हो। जब हम गांव में चलते हैं तो लोग रोजी-रोजगार नहीं मांगते हैं, सामान्यत: लोग यहां कहते हैं कि यहां नाली-गली नहीं बनी है, राशन कार्ड नहीं मिला है, इंदिरा आवास नहीं बना है। काफी संख्या में अब इन्हीं चीजों को मांगने वाले लोग यहां बच गए हैं। इससे ज्यादा चाहत रखने वाले लोग धीरे-धीरे बिहार को छोड़कर चले गए हैं।

प्रशांत किशोर ने कुल 11.4 किलोमीटर तक की पदयात्रा

प्रशांत किशोर ने सोमवार को कुल 11.4 किलोमीटर तक पदयात्रा की। इस दौरान वे 5 पंचायतों के 9 गांवों में गए। प्रशांत किशोर बछवाड़ा ब्लॉक के नारेपुर अयोध्या से नारेपुर धर्मपुर, अरवा, जाहनपुर, बहरामपुर, सलेमपुर, भीखम चक, मरांची, बछवाड़ा के हाई स्कूल मैदान तक गए और यही रात्रि विश्राम किया। इस दौरान कई जगहों पर रुककर जन संवाद किया और लोगों को वोट की ताकत का एहसास दिलाया।

डीएनबी भारत डेस्क

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