बेगूसराय कृषि विज्ञान केंद्र किसान और कृषि के उत्थान के लिए है समर्पित है

देश के 80 प्रतिशत लोग आज भी जीविकोपार्जन के लिए कृषि और पशुपालन पर हैं आश्रित।

देश के 80 प्रतिशत लोग आज भी जीविकोपार्जन के लिए कृषि और पशुपालन पर हैं आश्रित।

डीएनबी भारत डेस्क 
भारत कृषि प्रधान देश है। जिसकी आत्मा गांव में बसती है। गांव के 80 प्रतिशत लोग जीवकोपार्जन के लिए खेती और पशुपालन पर निर्भर हैं। कृषि विज्ञान केंद्र खोदावंदपुर की स्थापना इन्हीं उद्देश्यों से किया गया था। कि गांव के किसान और नौजवान खेती के आधुनिक तकनीक अपनाकर सिर्फ अपना सम्वर्धन नही करें वरन दुसरो के लिए भी रोजगार का सृजन करें।

वर्ष 2022 में खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र अपने इन उद्देश्यों में खड़ा उतरने का प्रयास किया। वर्ष 2023 में इससे और भी बेहतर करने का का प्रयास किया जा रहा है। जिले के किसानों को उम्मीद है केभीके खोदावंदपुर आनेवाले दिनों में बेगूसराय जिला के किसानों के लिए नई ऊर्जा और उत्साह के साथ बेहतर कर सकेगा।। यहां हम बात करते है केभीके द्वारा 2022 में किए गए बेहतर कामो का।

आवारा पशुओं का संरक्षण 

आवारा पशु अर्थात जिनकी उपयोगिता किसानों के नजर में शून्य है। वैसे जानवरो को किसानों से मांगकर केंद्र द्वारा उनका देखरेख कर उन्हें न सिर्फ संरक्षित किया गया वरन आवारा पशुओं से प्रतिदिन 14 लीटर दूध लिया जा रहा है। केंद्र की इस कार्य की सराहना कुलपति पूसा और स्थानीय सांसद ने केंद्र पर आयोजित कार्यक्रम में किया। यह कार्य अर्थहीन पशुपालको के लिए एक प्रेरक कार्य है। जो अपने बथान पर ऐसा कर सकते हैं ।

केंद्र परिसर में कृषि यांत्रिकी बैक की स्थापना

वर्ष 2022 में खोदावंदपुर कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अपने परिसर में कृषि बैंक का स्थापना किया गया। जिससे केंद्र को उपलब्ध भूमि में कम लागत और सहूलियत से जिले के किसान कम दर में भाड़े पर कृषि यंत्र लेकर अपना खेती किए हैं। जिससे उनका लागत कम हुआ और उत्पादन अधिक हुआ। तो दूसरी ओर खुद का भी कृषि यंत्र बैंक खोलकर स्वरोजगार का प्रेरणा मिला।

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रोजगार परख प्रशिक्षण

केंद्र द्वारा 2022 में बेरोजगार युवक युवतियों का कृषि यांत्रिकी बैंक, जैविक खेती, वर्मी और कार्बनिक खाद उत्पादन, डेयरी उद्योग सह मसरूम उत्पादन, बकरी पालन, वानिकी, लेयर फॉर्म उद्योग एवं मुर्गा पालन, मछली पालन जैसे दर्जनों ट्रेड में प्रशिक्षण व क्षेत्र भ्रमण कराकर तकनीकी रूप से उनको दक्ष किया गया है। जिससे न सिर्फ वह अपना स्वरोजगार सृजन कर एवं दुसर दूसरे युवक युवतियों को अपने फॉर्म में रोजगार देकर पलायन को रोकने में कारगर साबित हुए हैं ।

प्राकृतिक खेती पर बल

अधिक उत्पादन के होर में रासायनिक उर्वरकों एवं कीटनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग से मिट्टी की उर्वरा शक्ति कम पड़ गया। ऑन पर्यावरण प्रदूषित हो गया। खेती का लगत बढ़ गया। इसको कम करने के लिए केंद्र द्वारा प्राकृतिक खेती और जैविक तथा कार्बनिक उर्वरक एवं रसायन के उत्पादन और प्रयोग के लिए किसानों को जागरूक किया गया। नतीजतन आज जिले के किसान प्राकृतिक खेती, मोटा अनाज तथा कार्बनिक खाद और रसायन के प्रयोग में व्यपक स्तर में आगे आये हैं जिसकी सराहना पिछले दिनों प्रधानमंत्री ने मन की बाते में भी की।

ड्रिप एरिगेशन 

कृषि विज्ञान केंद्र परिसर में सिंचाई के ड्रेनेज सिस्टम को दुरुस्त किया गया और फब्बारा सिचाई दुसरुस्त किया। ताकि यहां आनेवाला किसान इसे देखे और अपने खेतों पर इस व्यवस्था को लागू करें। ऐसा करने से अनावश्यक पानी ब्यय को रोका जा सकता है। जिससे जल संरक्षण को बल मिला। दूसरी ओर इसमें लागत से खर्च कम आया। साथ ही जरूरत के हिसाब से फसलों को पानी मिलने के कारण उत्पादन अधिक हुआ। अब इन सबका लाभ जिले के किसानों को मिल रहा है म उम्मीद है केभीके खोदावंदपुर आनेवाले वर्ष में जिले के किसानों के हित में और बेहतर करेगा।

बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नीतेश कुमार गौतम 

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