खगड़िया: बंद हो पड़ा दशको पुराना खादी ग्राम उद्योग कारोबार, दर्जनों महिलाये हुई बेरोजगार

 

 

डीएनबी भारत डेस्क

खगड़िया जिले के परबत्ता प्रखंड के सियादतपुर अगुवानी पंचायत में स्थित समृद्ध खाद्य ग्रामोद्योग भंडार डुमरिया बुजुर्ग केंद्र से चरखा की आवाज इन दिनों गुम हो गई है। उक्त केंद्र से जहां चरखा की संगीत पुरे दिन गूंजती थी। वह आज खंडहर में तब्दील होकर वीरान हो गई है। एक दशक पूर्व डुमरिया बुजुर्ग गांव की एक महिला इंदु देवी के साहसिक पहल के कारण डुमरिया बुजुर्ग गांव की दो दर्जन महिलाएं आत्मनिर्भर हो गई थी।

समृद्ध खाद्य ग्रामोद्योग डुमरिया बुजुर्ग केंद्र भागलपुर जिला खादी ग्राम उद्योग के अंतर्गत संचालन होता है। भागलपुर जिला खादी ग्रामोद्योग के अधिकारी की माने तो समृद्ध खाद्य ग्रामोद्योग भंडार डुमरिया बुजुर्ग केंद्र का एक अलग पहचान रहा है। अन्य केंद्रों की अपेक्षा यहां की महिलाएं कम समय में चरखा से अधिक सूत काट लेती है। यहां के सूत को सुल्तानगंज खाद्य भंडार लाया जाता है तथा बुनकर के द्वारा गमछा लूंगी धोती सदा रंगीन थान तैयार करवाया जाता है।

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हालांकि केंद्र को फिर से चालू करने का प्रयास किया जा रहा है कोरोना काल में केंद्र सरकार ने आत्मनिर्भर योजना के तहत सभी क्षेत्रों में पैकेज की घोषणा किया है, जहां खादी ग्रामोद्योग से जुड़े लोगों का मानना है कि इस योजना से एक नई आस जगी थी, स्वदेशी वस्तु को बढ़ावा देने के खादी ग्रामोद्योग महत्वपूर्ण कड़ी है। खाद्य भारतीय सामाजिक आर्थिक और राजनीतिक जीवन में आज भी प्रासंगिक है। इसके माध्यम से न केवल देश प्रदेश की छिपी हुई बेरोजगारी को दूर कर लोगों को आत्मनिर्भर बनाया जा सकता है। बल्कि यह देश की आर्थिक समृद्धि के लिए भी महत्वपूर्ण है।

बस जरूरत है खाद्य ग्रामोद्योग को अमली जामा पहनाया जाए, लेकिन इनसे जुड़ी अधिकारी तनिक भी ध्यान नहीं दिया, जिसके कारण केंद्र बंद पड़ा हुआ है तथा इनसे जुड़ी महिलाएं बेरोजगार हो गई है। सूत काटने वाली महिलाओं ने कहा कि कोरोना महामारी लॉकडाउन में खड़ी ग्रामोद्योग का काम बंद हो गया इस विकट परिस्थिति में खाद्य ग्रामोद्योग भंडार से जुड़े अधिकारी एवं सरकार से अनुरोध किया था कि कुछ सहायता राशि दी जाए ताकि परिवार चलाने में मदद मिल सके, इसको आगे ले जाने में हम लोग काफी मेहनत कर आज इस मुकाम तक पहुंचाई हूं ।

इसलिए कोरोना काल में सरकार को मदद का हाथ बढ़ाना चाहिए, लेकिन सरकार हम लोगों की बातें नहीं सुनी और ना ही काम दिया। इस समृद्ध खड़ी भंडार डुमरिया बुजुर्ग पर कोई ध्यान नहीं दिया गया जिसके कारण आज वर्तमान समय में वर्षों पुर्व से बंद पड़ा हुआ है।

खगड़िया संवाददाता राजीव कुमार की रिपोर्ट

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