बढ़ती फूहड़ होली गानों के बीच विलुप्त हो रही प्राचीन फगुआ को महेशपुर गांव के ग्रामीणों के द्वारा जीवंत करने का प्रयास। आधुनिकता के साथ प्राचीन परंपरा को जीवन करने का प्रयास।
डीएनबी भारत डेस्क
चंडी प्रखंड के महेशपुर गांव में समाजसेवी प्रेम कुमार सिन्हा द्वारा आयोजित होली मिलन समारोह में पारंपरिक फगुआ गीतों ने लोगों का मन मोह लिया। ढोलक, झाल और मंजीरे की थाप पर कलाकारों ने फगुआ के गीत गाए,
जिससे समारोह में मौजूद हर कोई होली के रंग में सराबोर हो गया। आधुनिकता के इस दौर में होली के फूहड़ और अश्लील गीतों का प्रचलन बढ़ रहा है, जिसके कारण ग्रामीणों द्वारा टोली में गाए जाने वाले पारंपरिक फगुआ गीत विलुप्त होते जा रहे हैं। इसी परंपरा को जीवंत करने का प्रयास समाजसेवी प्रेम कुमार सिन्हा ने किया है।
हनुमत लेके अबीर और भोला बउरईलन आदि होली के लचकों ने समा बांध दिया। फगुआ गीतों ने गांव में बचपन की पुरानी यादें को ताजा कर दिया। बुजुर्गों के साथ साथ युवाओं ने भी झाल और मंजीरों पर खूब संगत किया।समाजसेवी प्रेम कुमार सिन्हा ने कहा कि फगुआ सिर्फ गीत नहीं हमारी परंपरा और विरासत है।
आधुनिकता के साथ हमारी परंपरा और विरासत गायब होते जा रही है। होली के गानों में भी फूहड़ता व अश्लीलता बढ़ती जा रही है। ऐसे में सामाजिक ताने बाने और परंपरा को बनाये रखने के लिए इन्हे फिर से जीवंत करने की जरूरत है।
डीएनबी भारत डेस्क