वेद सभी सत्य विद्याओं का पुस्तक, वेद ज्ञान एवं विज्ञान का अकूत भंडार है- आचार्य योगेश

आर्य समाज बारो बरौनी का 87वां चार दिवसीय वार्षिकोत्सव।

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आर्य समाज बारो बरौनी का 87वां चार दिवसीय वार्षिकोत्सव, भजन के माध्यम से कुरीतियों व नशा सेवन मुक्ति का दिया संदेश।

डीएनबी भारत डेस्क 

गुरुवार की सांध्या कालीन सत्र में वेद सम्मेलन का उद्घाटन गायत्री मंत्र के साथ मुख्य अतिथि डीएवी बेगूसराय जोन के रीजनल डायरेक्ट सह आर्य युवा समाज पटना के प्रधान केके सिन्हा के द्वारा दीप प्रज्वलन कर किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संयोजक डॉ अशोक कुमार गुप्त व स्वागत डॉ ममता कुमारी ने किया। मुख्य अतिथि श्री सिन्हा ने कहा कि जब देश में अराजकता था तो ऋषि दयानंद ने रास्ता दिखाया। आज आर्य समाज अपने रचनात्मक कार्य के साथ राष्ट्र, समाज व मानव निर्माण में लगा हुआ है। अगर हम ज्ञान अर्जन में मानवता का पाठ नहीं पढ़ाते हैं तो इसका साफ मतलब अज्ञानता की जाना हुआ। केवल जन्म से नहीं बल्कि सुकर्म से मानव होना चाहिए।मानव का एक लक्ष्य होना चाहिए।समाज में दायित्वों का निर्वहन करने का ज्ञान आर्य समाज देता है।

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मंच संचालन वैदिक प्रवक्ता पंडित संजय सत्यार्थी ने किया।उन्होंने कहा कि स्वामी दयानंद का आर्य समाज एक मिशन है। इसमें डीएवी शैक्षणिक संस्थान की अहम भूमिका है।इस मौके पर उत्तरप्रदेश से पधारे वैदिक प्रवक्ता आचार्य योगेश भारद्वाज ने कहा कि वेद सब सत्य विद्याओं का पुस्तक है। वेद ज्ञान और विज्ञान का भंडार है। मानव जीवन के अंदर जितने चीजे आवश्यक हैं सब वेद में निहित है। उन्होंने कहा कि अग्नि का धर्म जलाना है। धर्म उसे कहते हैं जो पदार्थ के अस्तित्व को सुरक्षित रखता है। आर्य का तत्व तब तक सुरिक्षत है जबतक वेद पढ़ना, पढ़ाना, सुनने का काम करता है। सत्य को मानता है। वर्षों पूर्व आर्य समाज के मंच को वेदी कहा जाता था। उन्होंने बताया कि 85 फीसदी स्वतंत्रता सेनानी आर्यसमाजी थे। यदि वैदिक संस्कार नहीं होते तो भारतीय गुलामी की बेड़ी में और ज्यादा दिन ग्रसित रहते। अंग्रेजी कोर्ट में आर्यसमाजियों को गीता पर हाथ रखकर सच बोलने की कसम नहीं खानी पड़ती थी।

अभी के लोगों का व्यवहार और आचरण बदल रहा है। उत्तर प्रदेश से पधारे भजनोपदेशक पंडित योगेश दत्त आर्य ने अपने भजनों के माध्यम से श्रोताओं को मुग्ध कर दिया।उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति ‘सभी सुखी होवें और पूरा संसार ही परिवार है’ के सिद्धांत पर संचालित है। पश्चिमी संस्कृति को रोकने के लिए वैदिक संस्कृति को अपनाना होगा। तब भारतीय शिक्षा, संस्कार, संस्कृति की रक्षा होगी।
उत्तर प्रदेश से पधारे भजनोपदेशक पंडित सत्यदेव शास्त्री व पटना से पधारे पंडित सत्य प्रकाश आर्य ने अपने मनमोहक भजनोपदेश से श्रोताओं को कुरीतियों, पाखण्ड, आडम्बर, नशा सेवन आदि से मुक्त होने का संदेश दिया। मौके पर रामदेव आर्य,जिला प्रधान शिवजी आर्य, बारो प्रधान रविन्द्र आर्य, मंत्री राजेन्द्र आर्य, संतोष आर्य, राजन आर्य, सुधीर आर्य, धर्मेन्द्र आर्य, निशांत आर्य, रामस्वार्थ सिंह, श्याम आर्य, गोविंद आर्य, सुखेन आर्य, रामप्रवेश आर्य आदि कार्यक्रम को व्यवस्थित करने में जुटे थे।

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