लोजपा (राम विलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष अग्निपीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे बेगूसराय जिले के बछवाड़ा प्रखंड के अरवा गांव 

 

बिहार सरकार पर तंज कसते हुए लोजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा बिहार में जात पात की राजनीति कर रहे हैं प्रदेश के मुख्यमंत्री

डीएनबी भारत डेस्क

लोजपा (राम विलास) के राष्ट्रीय अध्यक्ष चिराग पासवान सोमवार को प्रखंड क्षेत्र के अरवा पंचायत के नया टोल गांव पहुंचकर अग्निपीड़ित परिवार से मिलकर उन्हे सत्वना दिया। उन्होने अग्नि कांड में नौ परिवार वेंधर होने के सवाल पर कहा कि विगत चालीस वर्षों से अधिक समय से दलित परिवार अरवा गांव में रह रहे हैं लेकिन स्थानीय पदाधिकारी व राज्य सरकार की लापरवाही के कारण उन्हें आज तक सरकारी सुविधा मुहैया नहीं किया जा सका।

उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से दलित परिवार को आवास मिल जाता तो शायद एक ही परिवार के पति पत्नी व दो बच्चे की दर्दनाक मौत होने से बच सकता था। बताते चलें कि विगत एक जनवरी 2024 की रात अरवा गांव में अचानक आग लग जाने के कारण एक ही परिवार के नीरज पासवान, गर्भवती पत्नी कविता देवी व दो छोटे छोटे बच्चे लव व कुश की दर्दनाक मौत हो गयी थी। राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आग लगने की घटना पर दुख प्रकट करते हुए कहा कि पासवान की एक बहुत बड़ी आबादी विगत चार दशक से पर्चा के लिए भटक रहा है। आज तक इनलोगो को पर्चा तक नहीं दिया गया है।

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दलितों के साथ जिस प्रकार उदासीनता वर्ती गयी है। उन्होंने बिहार सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्तमान सरकार जाता पात की राजनीति करने में व्यस्त हैं और खास कर महादलित समुदाय के लोग बिहार सरकार के निशाने पर है। और लगातार महादलित समुदाय पर बिहार सरकार के द्वारा अपमानित भी किया जा रहा है एवं उन्हें सरकारी सुविधा से वंचित रखा जा रहा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के द्वारा एक जाति विषेश के साथ लम्बे समय से भेद भाव की भावना रखा जा रहा है। उन्होने कहा कि विगत 1978 से 120 दलित परिवार इस गांव में रह रहे हैं।

दो से तीन पीढ़ी बीत जाने के बावजूद इनलोगो को पर्चा नहीं दिया गया। और पक्के मकान भी नहीं मिला। आज घरों में आग लगने के कारण बेधर हो चुके है ऐसी स्थिति में प्रशासन के द्वारा पीड़ित परिवारों के बीच भोजन की व्यवस्था करना चाहिए था। भीषण ठंड में रहने की व्यवस्था करना चाहिए था। आज जब हम यहां पहुंचे तो स्थानीय पदाधिकारी से सम्पर्क करने की कोशिश की तो उन्होंने फोन तक उठाना मुनासिब नहीं समझा।

लेकिन इस प्रकार की घटना के बाद प्रशासन की उदासीन रवैया देखने को मिलता है। क्या सरकार की जिम्मेदारी नहीं है कि ऐसे परिवार को उचित व्यवस्था करे इनके पुनर्वास की व्यवस्था करें। लेकिन प्रशासन मृतक परिवार को मुआवजा देकर अपना पल्ला झाड़ लिया। उन्होंने सरकार से पच्चीस पच्चीस लाख रूपया देने की मांग की। उन्होने कहा कि हम मुख्यमंत्री से मिलकर पीड़ित परिवार को जब तक पर्चा के साथ पक्के मकान की व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक खाने,रहने की व्यवस्था के बारे में बात की जायगी। उन्होंने कहा कि इस प्रदेश की सरकारें सिर्फ जाता पात की राजनीति करने में लगा है।

ये धर्म मजहब के आधार पर बिहार के लोगों को देखने का काम करते है। मेरे मुख्यमंत्री के लिए कोई भी बिहारी या तो हिन्दु है या मुसलमान,ब्रह्मण है या कुर्मी या भुमिहार,राजपुत या दलित महादलित है या पिछड़ा है वो सब है पर बिहारी नहीं है। मुख्यमंत्री के द्वारा सबको एक नजर से देखा जाता तो निश्चित रूप से बिहार एक विकसित राज्य होता।

डीएनबी भारत डेस्क

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