आम आदमी व जनप्रतिनिधियों ने समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर करते हुए शिक्षकों के मांगों का किया समर्थन

शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा देने हेतु बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर चलाया गया हस्ताक्षर अभियान

डीएनबी भारत डेस्क 

संपूर्ण बिहार में इन दिनों माध्यमिक शिक्षक एवं पुस्तकालय अध्यक्षों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा देने के लिए बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के आह्वान पर चौथे चरण का आंदोलन चलाया जा रहा है, जिसके अंतर्गत तेघड़ा अनुमंडल के विविध क्षेत्रों में माध्यमिक शिक्षकों ने जनप्रतिनिधि एवं आम लोगों से शिक्षकों को बिना शर्त राज्य करने का दर्जा देने के लिए समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर लिया।

बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ शैक्षिक परिषद जिला संयोजक अविनाश शास्त्री के नेतृत्व में प्रखंड सचिव मंसूरचक धर्मेंद्र कुमार, गंगोत्री नरेश उच्च विद्यालय मधुरापुर राम सिंह, उच्च विद्यालय सिमरिया शिक्षक भुवनेश्वर दास आदि ने अनुमंडल के विभिन्न में जनप्रतिनिधि एवं आम लोगों से समर्थन पत्र पर हस्ताक्षर लिया।

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समर्थन पत्र पर आम नागरिकों के अलावे बरौनी नगर परिषद के मुख्य पार्षद संजीव कुमार, उप मुख्य पार्षद नेहा मेहता, पूर्व मुखिया नीतू चौधरी, पूर्व जिला परिषद सदस्य उमेश सिंह ,उषा सिंह, वर्तमान वार्ड पार्षद मनीष कुमार, मुर्तजा आलम, सूरज कुमार बंटी ने अपना हस्ताक्षर करते हुए शिक्षकों को बिना शर्त राज्य कर्मी का दर्जा देने के मांग का समर्थन किया।

इस अवसर पर अविनाश शास्त्री ने कहा कि वर्तमान राज्य सरकार नीति एवं नियम के विरुद्ध कार्य कर रही है ।सरकार के मुखिया अपने आप को समाजवादी कहते हैं लेकिन यह सरकार हिटलर की तरह नीति एवं नियमों को ताक पर रखकर कार्य कर रही है, जिसका प्रत्यक्ष उदाहरण शिक्षक नियुक्ति नियमावली 2023 है जिसे बिना सदन में विचार विमर्श किए बिना शिक्षक संगठनों से वार्ता किए लागू कर दिया गया।

यह नियुक्ति नियमावली बेरोजगार शिक्षक अभ्यर्थियों के साथ एक भद्दा मजाक है साथ ही वर्षों से कार्यरत शिक्षकों को राज्य कर्मी का दर्जा नहीं दिए जाने के स्थान पर पुनः परीक्षा में सम्मिलित होने का निर्णय हास्यास्पद है।

इस अवसर पर मंसूरचक प्रखंड सचिव धर्मेंद्र कुमार ने कहा कि बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ आगे आने वाले दिनों में शिक्षक एवं पुस्तकालय अध्यक्षों को राज्य कर्मी का दर्जा दिलाने के लिए सड़क से सदन तक संघर्ष विधायिका एवं न्यायपालिका के माध्यम से भी शिक्षकों को न्याय दिलाने के लिए आगे के समय ने योजना बनाई जा रही है।

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