24 अक्टूबर को दीपावली पर्व मनाये जाना का है शुभ मुहूर्त- आचार्य अविनाश शास्त्री

25 अक्टूबर को लगेगा सूर्य ग्रहण, ग्रहण आरम्भ होने से 6 घंटे पूर्व सूतक लगेगा।

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24 अक्टूबर को होगा इस वर्ष दीपावली, 25 अक्टूबर को लगेगा सूर्य ग्रहण, 25 अक्टूबर को लगेगा सूर्य ग्रहण, ग्रहण आरम्भ होने से 6 घंटे पूर्व सूतक लगेगा।

डीएनबी भारत डेस्क 

शारदीय पूर्णिमा के 15 में दिन अर्थात कार्तिक कृष्ण पक्ष अमावस्या को दीपावली मनाये जाने की परंपरा थी। परंतु इस वर्ष पूर्णिमासी के 14 वे दिन अर्थात 24 अक्टूबर सोमवार को दीपावली मनाई जाएगी। इस संबंध में
ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री बताते हैं कि हिंदू पंचांग में अलग-अलग तिथियों के संदर्भ में ज्योतिषिय गणना उपरांत निर्णय का विचार किया गया है जिसके अंतर्गत अमावस्या तिथि जिस दिन सूर्यास्त के बाद व्यतीत हो रही हो अर्थात निशा व्यापिनी हो उसी दिन अमावस्या तिथि को किया जाने वाला पूजन आदि शास्त्रोचित माना गया है।

मिथिला देश के विभिन्न पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर को सायं 5:16 के बाद अमावस्या तिथि का प्रवेश रहेगा जो कि 25 अक्टूबर को दोपहर बाद 4:00 बज कर 46 मिनट तक रहेगा अर्थात 24 तारीख को शाम एवं रात्रि काल में अमावस्या तिथि व्यतीत होगी इसलिए शास्त्र सम्मत 24 अक्टूबर को ही दीपावली मनाना उचित है।


क्या है शुभ समय

स्थिर लक्ष्मी प्राप्ति के लिए प्रदोष काल वृष लग्न एवं अर्ध रात्रि सिंह लग्न में महालक्ष्मी जी की पूजन आराधना व्यापार वृद्धि धन धान्य समृद्धि एवं मनोवांछित कामनाओं की पूर्ति के लिए उत्तम माना गया है। वृष लग्न साय 06:57 से 08:53 तक, सिंह लग्न रात्रि 01:24 से 03:40 तक

क्या है अलग अलग पंचांगों का मत

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कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालय से प्रकाशित पंचांगों के साथ सात वैदेही पंचांग विद्यापति पंचांग एवं अन्य सभी मैथिली पंचांगों के अलावे वाराणसी से प्रकाशित ऋषिकेश पंचांग एवं वाराणसी हिंदू विश्वविद्यालय पंचांग ने भी निशा व्यापनी अमावश्या को एक मत स्वीकारोक्ति देते हुए 24 अक्टूबर को ही दीपावली मनाने का निर्णय दिया है।

कब है सूर्य ग्रहण

दिनांक 25 अक्टूबर 2022 को देश के लगभग सभी भागों के अलावे यूरोप उत्तरी अफ्रीका पूर्व मध्य एवं पश्चिम एशिया के देशों में दिखाई देगा। जिस समय सूर्य ग्रहण लगेगा उस समय चंद्रमा तुला राशि में रहेंगे। मिथिलांचल में ग्रहण का स्पर्श दिन के 4:41 से ग्रहण एवं मोक्ष सायं 5:22 है। अगर दुनिया के अलग-अलग क्षेत्रों में ग्रहण की बात करें तो दिन के 11:28 से शाम के 6:33 तक का यह 7 घंटा 5 मिनट का संपूर्ण सूरज ग्रहण होगा जिसका मध्य 4:30 रहेगा।ग्रहण आरम्भ होने से 6 घंटे पूर्व सूतक लगेगा।

क्या करें, क्या नहीं करें ग्रहण काल में

ग्रहण से पूर्व स्नान करें एवं ग्रहण के मध्य देवताओं के मंत्रों का जप तथा ग्रहण के समाप्ति पर दान करके पुनः स्नान करना चाहिए। ग्रहण काल में किया गया जप पूजा अर्चना पाठ शीघ्र ही सिद्धि दायक होता है। ग्रहण काल में भोजन, शयन,गाय दुहना, वृक्ष काटना एवं मलमूत्र का त्याग करना शास्त्रसम्मत वर्जित कहा गया है। ग्रहण काल में गंगा आदि महा नदियों में अथवा सामान्य जल में भी स्नान जप होम दान अनन्त फलदायक होता है। गर्भवती स्त्रियों को चाहिये की ग्रहण काल में कमरे से बाहर नहीं निकलें। बालक, वृद्ध एवं रोगियों को ग्रहण सूतक से शास्त्रों ने मुक्त रखा है।

क्या है ग्रहण का फल सभी राशियों पर

मेष स्त्रिपीड़ा, वृष सुख, मिथुन चिंता, कर्क व्यथा दुख, सिंह श्री धन लाभ, कन्या क्षति, तुला घात हानि, वृश्चिक हानि, धनु लाभ, मकर सुख, कुम्भ अपयश मानहानि, मीन कष्ट।

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