सिमरिया धाम में सुविधाओं का विकास हो जाने पर यह धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा – संजय झा

जल संसाधन मंत्री ने सिमरिया धाम में निर्माणाधीन सीढ़ी घाट, धर्मशाला एवं अन्य सुविधाओं का किया स्थल निरीक्षण। जल संसाधन मंत्री ने योजना के सभी कार्यों को 18 माह में पूरा करने के लक्ष्य को घटाते हुए एक साल में पूरा करने के दिये निर्देश। मुख्यमंत्री इसी माह के अंत में करेंगे सिमरिया धाम के विकास की योजना के पहले फेज का लोकार्पण। बिहार में अपनी तरह का पहला और सबसे सुंदर तीर्थ बनेगा सिमरिया धाम। धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा सिमरिया धाम, क्षेत्र में पैदा होंगे रोजगार के अवसर: संजय कुमार झा

 

 

डीएनबी भारत डेस्क 

‘बिहार में अपने तरह का अनूठा और सबसे सुंदर तीर्थ बनेगा सिमरिया धाम। उत्तरवाहिनी गंगा तट पर स्थित सिमरिया धाम के विकास एवं सौंदर्यीकरण की जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार की योजना के पहले फेज का कार्यों का इसी माह के अंत में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के कर-कमलों द्वारा लोकार्पण कराया जाएगा। योजना के सभी कार्यों को दो फेज में 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन इसे अब एक साल के रिकार्ड समय में जून 2024 तक ही पूरा कर लिया जाएगा।’ यह बात बिहार सरकार के जल संसाधन तथा सूचना एवं जनसंपर्क मंत्री संजय कुमार झा ने रविवार को सिमरिया धाम में निर्माणाधीन सीढ़ी घाट, धर्मशाला एवं अन्य सुविधाओं का स्थल निरीक्षण करने के बाद पत्रकारों से कही।

जल संसाधन मंत्री ने योजना की प्रगति पर संतोष जताया और सभी कार्यों को पूर्ण गुणवत्ता के साथ पूरा कराने के लिए विभागीय अधिकारियों एवं अभियंताओं को जरूरी निर्देश दिये। स्थल निरीक्षण के दौरान जल संसाधन विभाग तथा जिला प्रशासन के वरीय अधिकारी मौजूद थे। फिलहाल सिमरिया धाम के विकास की योजना के पहले फेज में करीब 250 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट के निर्माण का कार्य पूर्णता की ओर है। श्रद्धालुओं के ठहरने के लिए बहुमंजिली धर्मशाला के निर्माण का कार्य तेजी से आगे बढ़ रहा है। पूरे क्षेत्र में पौधारोपण के साथ सौंदर्यीकरण का कार्य भी शुरू कर दिया गया है। संपूर्ण कल्पवास मेला क्षेत्र में सड़क और पाथवे के निर्माण का कार्य शुरू कर दिया गया है।

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स्थल निरीक्षण के उपरांत मंत्री संजय कुमार झा ने कहा कि सिमरिया धाम आस्था का एक बड़ा केंद्र है। संपूर्ण मिथिला ही नहीं, बिहार और आसपास के राज्यों के साथ-साथ नेपाल तक से भी यहां श्रद्धालु पहुंचते हैं। हमलोगों का प्रयास है कि पावन सिमरिया धाम को मुख्य गंगा नदी के किनारे सबसे सुंदर तीर्थ के रूप में विकसित किया जाये। उन्होंने कहा कि हरिद्वार स्थित ‘हर की पौड़ी’ गंगा नदी की मुख्य धारा के किनारे नहीं, बल्कि इसकी शाखा के किनारे निर्मित है। उन्होंने विश्वास जताया कि सिमरिया धाम में सुविधाओं का विकास हो जाने पर यह धार्मिक पर्यटन का एक बड़ा केंद्र बनकर उभरेगा। यह स्थल रेल और सड़क मार्ग से जुड़ा है। यहां पर्यटन का विकास होने पर आसपास के इलाके में होटल और परिवहन सहित कई तरह के कारोबार एवं रोजगार के अवसर पैदा होंगे। कुल मिलाकर यह योजना मिथिला सहित संपूर्ण बिहार के लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा साबित होगी।

उल्लेखनीय है कि सिमरिया धाम में उत्तरवाहिनी गंगा होने के कारण इसका धार्मिक महत्व काफी अधिक है। हर साल कार्तिक मास में यहां कल्पवास मेले की परंपरा सदियों से चली आ रही है। सिमरिया कल्पवास मेले को एक दशक से अधिक से राजकीय मेला का दर्जा प्राप्त है। यहां वर्ष 2011 में अर्ध कुंभ और 2017 में महाकुंभ का भी आयोजन हो चुका है। इसके अलावा स्नान, मुंडन और धार्मिक अनुष्ठान के लिए सालोभर काफी श्रद्धालु और साधु-संत सिमरिया आते रहते हैं, लेकिन बुनियादी सुविधाओं की कमी के कारण उन्हें परेशानियों का सामना करना पड़ता था।

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नवंबर 2022 में जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा के साथ सिमरिया धाम में लगे कल्पवास मेले में भ्रमण किया था और श्रद्धालुओं एवं साधु-संतों का फीडबैक लिया था। उन्होंने सिमरिया कल्पवास क्षेत्र के विकास एवं सौंदर्यीकरण के लिए जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार ‘कॉन्सेप्ट प्लान’ की समीक्षा कर विस्तृत योजना रिपोर्ट (डीपीआर) बनाने के निर्देश दिये थे। जल संसाधन विभाग द्वारा तैयार 114.97 करोड़ रुपये की विस्तृत योजना को 22 मार्च 2023 को राज्य कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसके बाद खुद मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने 30 मई 2023 को इसका शिलान्यास किया था। जून 2023 में योजना के पहले फेज का कार्य शुरू हुआ था।

जल संसाधन विभाग, बिहार सरकार की योजना के तहत सिमरिया गंगा तट पर मौजूदा राजेंद्र पुल और उसके दक्षिण में निर्माणाधीन सिक्स-लेन सड़क पुल के बीच दो फेज में कुल लगभग 550 मीटर लंबाई में सीढ़ी घाट एवं रीवर फ्रंट के साथ-साथ चेंजिंग रूम, गंगा आरती का स्थान, घाट के समानांतर नदी में सुरक्षा घेरा, धार्मिक अनुष्ठान के लिए मंडप, श्रद्धालुओं के बैठने की व्यवस्था, धर्मशाला, शौचालय परिसर, पार्क, पार्किंग, पाथवे, प्रशासनिक भवन, वाच टावर और प्रकाश की व्यवस्था इत्यादि को शामिल किया गया है। योजना के सभी कार्यों को 18 माह में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया था, लेकिन अब जल संसाधन मंत्री ने इसे एक साल में पूरा करने के निर्देश दिये हैं।

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