नालंदा विश्वविद्यालय में बे ऑफ़ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनामिक कोऑपरेशन के भविष्य पर किया गया संगोष्ठी का आयोजन

 

डीएनबी भारत डेस्क

नालंदा विश्वविद्यालय में मंगलवार को एक महत्वपूर्ण संगोष्ठी का आयोजन किया गया, जिसमें बे ऑफ बंगाल इनिशिएटिव फॉर मल्टी-सेक्टोरल टेक्निकल एंड इकोनॉमिक कोऑपरेशन (बिम्स्टेक) के भविष्य पर विचार-विमर्श किया गया।मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित विदेश मंत्रालय के सचिव जयदीप मजूमदार ने बिम्स्टेक की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए कहा कि 1997 में स्थापित यह संस्था हमारे छह पड़ोसी देशों को एक मंच पर लाती है।

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यह शिक्षा, व्यापार, विज्ञान और प्रौद्योगिकी जैसे विविध क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ावा देती है। उन्होंने आगे बताया कि भारत सरकार इस पहल को और अधिक मजबूत करने की दिशा में काम कर रही है, और जल्द ही दिल्ली में सदस्य देशों के विदेश मंत्रियों की एक बैठक होने वाली है। नालंदा विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर अभय कुमार सिंह ने कहा कि आज की संगोष्ठी में अंतरराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त विद्वानों ने बिम्स्टेक को और अधिक गति प्रदान करने तथा इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाने पर चर्चा की।

भारत का पूर्वी देशों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध इस पहल को और भी महत्वपूर्ण बनाता है।कार्यक्रम में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विचार रखे। जिनमें डॉ. राजीव रंजन चतुर्वेदी, प्रोफेसर अभय कुमार सिंह, डॉ. रजत एम. नाग, सब्यसाची दत्ता, डॉ. लोइतोंगबम बिश्वनजीत सिंह और प्रोफेसर राधा दत्ता शामिल थे। इस संगोष्ठी ने बिम्स्टेक के माध्यम से क्षेत्रीय सहयोग को मजबूत करने और आर्थिक विकास को बढ़ावा देने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं।

यह पहल न केवल भारत के लिए, बल्कि पूरे दक्षिण एशिया और दक्षिण-पूर्व एशिया के लिए एक नए युग की शुरुआत का संकेत दे रही है।

डीएनबी भारत डेस्क

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