वैचारिक क्षरण के दौरान दूसरों के साथ हमने अपनी भी आलोचना की है और यही आलोचना बदलाव की क्रांति है-सत्येन्द्र कुमार
राजेन्द्र राजन ने कहा कि इतिहास गौरव गाथा नहीं बल्कि संघर्ष गाथा है बल्कि इससे हम सीखते हैं, वर्त्तमान में जीते हैं और भविष्य के लिए कल्पना करते हैं।
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय जिले के बीहट में प्रलेस के पूर्व राष्ट्रीय महासचिव राजेन्द्र राजन की दो प्रसिद्ध पुस्तक इंतकाम नहीं इंकलाब एवं अन्य नाटक और कहानी संग्रह बंधी नदी का विद्रोह पर परिचर्चा करते हुए कवि सत्येन्द्र कुमार ने कहा कि वैचारिक क्षरण के दौरान दूसरों के साथ हमने अपनी भी आलोचना की है और यही आलोचना बदलाव की क्रांति है। खास करके यह हमारा अंतर्विरोध है जिसका जिक्र राजेंद्र राजन ने अपनी रचनाओं में की है।
उन्होंने कहा कि दुनिया के अंदर जितने भी बड़े साहित्यकार हुए उनमें से अधिकांश वामपंथी विचारधारा से जुड़े रहे। राजेन्द्र राजन ने अपनी तमाम रचनाओं में कम्युनिस्ट आंदोलन के अंदर की भी पीड़ा का जिक्र किया है। जो सामाजिक बदलाव की बैचेनी और छटपटाहट है। कहा कि लेखन हमारे लिए हथियार है और आज भी राजेन्द्र राजन उसी लेखन को अपना हथियार बनाकर अंदर और बाहर संघर्ष कर रहे हैं।
वहीं स्वयं अपनी पुस्तक और बीहट निवासी राजकिशोर सिंह लिखित पुस्तक बीहट का इतिहास पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए राजेन्द्र राजन ने कहा कि इतिहास गौरव गाथा नहीं बल्कि संघर्ष गाथा है बल्कि इससे हम सीखते हैं, वर्त्तमान में जीते हैं और भविष्य के लिए कल्पना करते हैं। कहा कि संघर्ष का ही इतिहास लिखा जाना चाहिए ताकि भविष्य अपनी भी राह बना सके। उन्होंने बीहट का इतिहास पुस्तक का जिक्र करते हुए कहा कि जब हम लिखते हैं तो उसमें लिखने की पीड़ा है।
उसे प्रोत्साहन मिलना चाहिए। कहा कि लेखन में जब तक प्रतिरोध नहीं होगा तो फिर वह लेखन कैसा। कहा कि बेगूसराय में प्रतिरोध की भावना रही है और वो लेखन में भी दिखता रहा। राजेन्द्र राजन ने कहा कि हम लिखते हैं अपनी विचारधारा को आम-आवाम तक ले जाने के लिए, उनके अंदर के विचारों को संघर्ष का रास्ता देने के लिए। वहीं राजकिशोर सिंह ने कहा कि बीहट स्वतंत्रता आंदोलन का वारदोली रहा और समाजवादी आंदोलन का मास्को रहा है बीहट।
इसको लेकर हमने बीहट का इतिहास लिखा लेकिन लिखने के बाद मानसिक पीड़ा भी झेलनी पड़ी। अनिल पतंग ने कहा कि राजेन्द्र राजन की तमाम रचनाएं संघर्ष को प्रेरित हैं। खासकर के लक्ष्यों के पथ पर और भगत सिंह पर आधारित नाटक रहा है। छात्र नेता रामकृष्ण ने कहा कि साहित्य, कविता के प्रति पाठकों और श्रोताओं की रुचि घटी है लेकिन राजेन्द्र राजन की रचनाओं के विमोचन में 2 हजार से अधिक लोग शामिल होते हैं यही इनकी खासियत है।
कहा कि लेखकों की एक रचना के प्रकाशन के बाद दूसरा संस्करण आना मुश्किल हो जाता है वैसे दौर में इनकी पुस्तकों का तीसरा संस्करण आ चुका है। मौके पर अवनीश कुमार, डॉ संगीता राजन, पंकज कुमार सहित अन्य उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवादाता से धरमवीर कुमार की रिपोर्ट