तेघड़ा संत पाॅल स्कूल के बच्चों ने महिषासुर वध की प्रस्तुति से दर्शकों को किया मंत्रमुग्ध

बच्चों की मां दुर्गा स्वरूप भक्तिभाव नाट्य प्रस्तुति में लीन भावविभोर दिखे अभिभावक, शिक्षक व दर्शक।

बच्चों की मां दुर्गा स्वरूप भक्तिभाव नाट्य प्रस्तुति में लीन भावविभोर दिखे अभिभावक, शिक्षक व दर्शक।

डीएनबी भारत डेस्क 

संत पॉल पब्लिक स्कूल तेघड़ा में दुर्गा पूजा के पावन अवसर पर विद्यालय के विशेष प्रार्थना सभा में महिषासुर वध का एकांकी के रूप में मंचन किया गया। प्रारंभ से विद्यालय के प्राचार्य डॉ विनय ओझा और समन्वयक राम कुमार मिश्रा ने संयुक्त रूप से माँ दुर्गा के तस्वीर के समक्ष दीप प्रज्वलित और पुष्प अर्पित कर कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।

मां दुर्गा के नौ रुप में शैलपुत्री ( मिसखा), ब्रह्मचारिणी (कौशिकी), चंद्रघंटा (जिज्ञासा), कूष्मांडा (भव्या) , स्कंद माता (अनुशी), कात्यायिनी (जागृति), कालरात्रि (आयुषी), महागौरी (सारा), सिद्धिदात्री (शिवानी) का विधिवत पूजा-अर्चना किया गया। महिषासुर के रूप में सृष्टि, पुजारी के रूप लक्ष्मी, आर्यन, अर्पित और जिज्ञासा का अदायगी कबीले तारीफ़ रहा।

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कहा जाता है कि पृथ्वी पर जब-जब असुरों का आतंक बढ़ा, तब-तब देवताओं ने विभिन्न रूप धारण कर उनका सर्वनाश के लिया अवतार लिये। लेकिन कुछ ऐसे शक्तिशाली असुर भी हुए, जिन्होंने देवताओं को भी परास्त कर स्वर्गलोक व धरती लोक पर अपना अधिकार जमाया।

ऐसे ही एक असुर का नाम था महिषासुर। महिषासुर ने देवताओं पर अत्याचार कर स्वर्गलोक पर राज किया। जब सृष्टि संकट में आ गई थी, तब त्रिदेवों ने महिषासुर का अंत करने के लिए मां भगवती का स्वरूप बनाया। इसके बाद महिषासुर का वध हुआ।

जिसकी कथा इस प्रकार है :- स्वर्गलोक में महिषासुर का आतंकदुर्गा सप्तशती के अनुसार, असुरों के राजा रंभासुर और भैंस के संयोग से महिषासुर का जन्म हुआ। महिषासुर ने कठोर तपस्या कर ब्रह्मा जी से वरदान मांगा था कि कोई पशु और पुरुष उसका अंत नहीं कर पाए। वरदान पाने के बाद महिषासुर ने तीनों लोकों में आतंक मचाया और भयंकर नरसंहार किया।

स्वर्गलोक के देवताओं को हराकर महिषासुर स्वयं स्वर्गलोक का नया इंद्र बना। इंद्र बनने के बाद महिषासुर ने देवताओं पर बहुत अत्याचार किया। देवतागण धरती पर रहने लगे, लेकिन महिषासुर ने धरती पर भी अधिकार कर लिया। तब देवताओं ने महिषासुर से परेशान होकर त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश से सहायता की गुहार लगाई।

जिसके बाद सभी देवताओं ने अपनी सारी शक्तियां मां दुर्गा को समर्पित किया जिसके बाद महिषासुर का मां दुर्गा ने माता कात्यायिनी के रूप अवतरित हो वध किया। और देवी दुर्गा के इस स्वरूप का नाम महिषासुरमर्दिनि पड़ा।

इस कार्यक्रम को सफल बनाने में विक्की सिंह राजपूत, भीम कुमार, भारती कुमारी सिंह, खुशी प्रिया, राम प्रवेश, प्रफुल्ल कुमार, रूपम कुमारी, प्रीति प्रिया, अमीषा रॉय ,काजल कुमारी आदि की महती भूमिका रही।

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