श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका एक सांस्कृतिक धरोहर के रुप में प्रस्तुत की गई है – सबेर्श्वर भुजबल

 

डीएवी एनएच-28 में श्रीकृष्णजन्माष्टमी महोत्सव मनाया गया

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय/बीहट-आर्य समाज डीएवी पब्लिक स्कूल, एनएच 28 बरौनी, बेगुसराय में  मंगलवार को वेद प्रचार के अंतर्गत श्रीकृष्णजन्माष्टमी महोत्सव का शुभारंभ वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ ज्ञान दीप प्रज्ज्वलित कर विद्यालय प्राचार्य सबेर्श्वर भुजबल, आर्य गण, वरीय शिक्षक ने संयुक्त रुप से किया गया ।मंच संचालन संयुक्त रुप से नम्रता सिन्हा, छात्रा प्रियांशी, सोनम, उन्नति सिन्हा एवं पायल ने सयुक्त रुप से की।

इस कार्यकम में नरेन्द्र कुमार आचार्य ,सुप्रिया कुमारी, काजल कुमारी  सोनी कुमारी, अंबुज कुमार, बीएन शरण मिडिया प्रभारी हेमन्त कुमार मिश्रा, प्रीति कुमारी आदि उपस्थित रहे।कार्यक्रम की शुरुआत छात्र अवतार राज आर्यन के द्वारा संगठन के मंत्र घन पाठ एवं मनसा परिक्रमा के छः मंत्रोच्चारण के साथ किया गया ।

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इस अवसर पर श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका मंजन मंत्रोच्चारण, नुक्कड़ नाटक आदि प्रतियोगिताओं का आयोजन किया गया ।श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका में प्रथम स्थान हंसराज सदन द्वितीय विवेकानंद सदन एवं तृतीय अशोका सदन ने प्राप्त किया। भजन में प्रथम स्थान विवेकानंद सदन द्वितीय हंसराज सदन एवं तृतीय अशोका सदन ने प्राप्त किया।

मंत्रोच्चारण में प्रथम स्थान हंसराज सदन द्वितीय अशोका सदन एवं तृतीय विवेकानंद सदन ने प्राप्त किया । नुक्कड़ नाटक में प्रथम स्थान विवेकानंद सदन द्वितीय हंसराज सदन एवं तृतीय अशोका सदन ने प्राप्त किया । छात्र-छात्राओं के मंजन की मधुर धुनों से माहौल भक्ति मय हो गया। श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका में श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर मथुरा में कंस वद्ध तक की विभिन्न लीलाओं तथा श्रीकृष्ण के जीवन की विभिन्न महत्वपूर्ण घटनाओं और लीलाओं पर आधारित नृत्य प्रस्तुत किये गये ।

इस अवसर पर विद्यालय प्राचार्य सबेर्श्वर भुजबल ने कहा कि श्रीकृष्ण लीला नृत्य नाटिका एक सांस्कृतिक धरोहर के रुप में प्रस्तुत की गई है। श्रीकृष्ण की बाल लीलाओं से लेकर गीता के उपदेश तक हर एक प्रसंग हमे सत्य धर्म और न्याय की राह पर चलने का संदेश देता है उन्होंने कहा कि वेद प्रचार मानवता को सत्य, धर्म और मोक्ष के मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करते हैं। इनमें प्राकृतिक आध्यात्मिक और सामाजिक जीवन से संबंधित शिक्षाएं दी गई हैं।

वेदों के अध्ययन और प्रचार से मानव जीवन में नैतिकता, अनुशासन और आध्यात्मिकता का विकास होता है। नुक्कड़ नाटक के माध्यम से जिस तरह से समाज के मुद्दों को सामने लाया गया वह सराहनीय है, यह नाटक न केवल मनोरंजन था, बल्कि यह एक विचारशील संदेश भी था जो हमें आत्ममंथन करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करता है। इस कार्यक्रम में आए हुए भक्तों ने कहा कि इस तरह के आयोजन से समाज में भक्ति और आस्था का संचार होता है।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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