डीएनबी भारत डेस्क
सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमरिया धाम के प्रांगण में नौ दिवसीय श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन व्यास पीठ से प्रातः स्मरणीय गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने कथा के सार तत्व को उद्घाटित करते हुए कहा कि सम्पूर्ण चराचर जगत में ख़ासकर कलयुग से मोक्ष प्राप्ति में श्री मद भागवत कथा सर्वोत्तम साधन है। भागवत कथा के तीन स्वरूप हैं श्रीमद् भागवत कथा, श्री देवी भागवत कथा तथा श्री महा महाभागवत कथा, तीनों में से कहीं भी कभी भी एक दिन भी कथा श्रवण का सौभाग्य प्राप्त हो जाए तो मनुष्य तन का उद्धार निश्चित हैं।आज सनातन धर्म और संस्कृति पर लगातार प्रहार किया जा रहा है।
आज राष्ट्र और संस्कृति को बुद्धजीवियों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका हैं।और इसके लिए श्री मद्भागवत कथा का वाचन और श्रवण सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।आज मिथिला संस्कृति के महत्वपूर्ण पर्व जितिया से एक दिन पूर्व जो भी माताएं कथा श्रवण का लाभ उठा रहे हैं, वह सौभाग्यशाली हैं। आज श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन व्यास मंच से पंडित नारायण झा, पंडित रमेश मिश्र, पंडित दिनेश झा के द्वारा स्वस्ति वाचन किया गया। तत्पश्चात कथा व्यास पीठ से युवा कथावाचक पंडित लक्ष्मण जी ने कथा के प्रमुख प्रसंग को उद्घाटित करते हुए कहा कि गंगा की महिमा अपरम्पार हैं।
हम परम सौभाग्यशाली हैं कि आज हमें परम पुनीत सिमरिया गंगा तट पर श्रीमद् भागवत कथा के आठवें दिन कथा श्रवण का लाभ उठा रहे हैं। आठवें दिन के कथा विश्राम पर मिथिला के तीन विशिष्ट अतिथि को सर्वमंगला अध्यात्म योगपीठ सिमरिया धाम आश्रम के प्रधान व्यवस्थापक रविन्द्र ब्रह्मचारी जी द्वारा मिथिला परम्परा के अनुसार चादर तथा आचार्य नारायण झा जी द्वारा पुष्पहार एवं गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज के द्वारा मिथिला सम्मान के प्रतीक पाग से सम्मानित किया गया।
मौके पर स्वामी चिदात्मन वेद विज्ञान अनुसंधान संस्थान सिमरिया धाम के निदेशक डॉ विजय कुमार झा, सचिव सुधीर चौधरी तथा सह सचिव प्रवक्ता प्रो पी के झा प्रेम , गौरीशंकर, अरविन्द, राम भारद्वाज, श्याम सनातन, आचार्य रंजन शास्त्री, रंजना देवी सहित अन्य एवं सैकड़ों श्रद्धालु उपस्थित थे।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट