सावन माह में ईश्वर की कृपा प्राप्ति के लिए पूजन विधि एवं वर्जित कार्य ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री की जुबानी

सावन अधिमास के मौके पर क्षेत्र के मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन एवं प्रवचन का दौर जारी।

सावन अधिमास के मौके पर क्षेत्र के मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन एवं प्रवचन का दौर जारी।

डीएनबी भारत डेस्क 

सावन अधिमास के मौके पर क्षेत्र के मंदिरों में रोज पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन एवं प्रवचन का दौर जारी है। इसी क्रम में बरौनी के शोकहारा मंदिर में यज्ञ अनुष्ठान एवं प्रवचन कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस दौरान जाने-माने ज्योतिषाचार्य अविनाश शास्त्री ने मौजूद श्रद्धालुओं को सावन माह में ईश्वर की कृपा प्राप्ति के लिए किए जाने वाले पूजन विधि के साथ-साथ वर्जित कार्यों का विस्तार से बताया।

उन्होंने कहा कि सनातन धर्मावलंबी सावन माह में पंचामृत (दूध, दही, घी, शक्कर और शहद) चढ़ाने के लिए विशेष मंत्र

कामधेनु समुद्भूतं सर्वेषां जीवनं परम्।

पावनं यज्ञहेतुश्च पय: स्नानाय गृहृताम्।।

ऊँ शिवाय नम:। पय: स्नान समर्पयामि।

इसके बाद अन्य शास्त्रोक्त पूजा सामग्रियों का चढ़ावा करें। शिवलिंग के दक्षिण दिशा की ओर बैठकर यानी उत्तर दिशा की ओर मुंह कर पूजा और अभिषेक शीघ्र फल देने वाला माना गया है। अगर किसी को विवाह में अड़चन हो रहा हो तो वे रोज शिवलिंग पर केसर मिला हुआ दूध चढ़ाएं।

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धन प्राप्ति के लिए किसी नदी या तालाब जाकर रोज आटे की गोलियां मछलियों को खिलाएं। सुख-समृद्धि के लिए नंदी (बैल) को रोज हरा चारा खिलाएं। 21 बिल्वपत्रों पर चंदन से ऊँ नम: शिवाय लिखकर शिवलिंग पर चढ़ाएं साथ ही एकमुखी रुद्राक्ष भी अर्पण करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती है।

ज्योतिषाचार्य ने कहा कि बिल्वपत्र (बेलपत्र) न तोड़े

शिव पूजन में इस विशेष बातों को ध्यान रखें कि चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी, अमावस्या, संक्राति (सूर्य का राशि बदल दूसरी राशि में प्रवेश) एवं सोमवार को नए बिल्वपत्रों का तोड़ना वर्जित किया गया है। इसकी जगह पर पुराने बिल्वपत्रों को जल से पवित्र कर शिव पर चढ़ाए जा सकते हैं।

श्रद्धालुओं को लक्ष्मी प्राप्ति के लिए पंचोपचार पूजा में चंदन, अक्षत के बाद तीन पत्ती वाले 11, 21, 51 या श्रद्धानुसार ज्यादा से ज्यादा बिल्वपत्र शिवलिंग पर इस मंत्र को बोलते हुए चढ़ाएं

त्रिदलं त्रिगुणाकारं त्रिनेत्रं त्रयायुधम।

त्रिजन्म पापसंहारं मेकबिल्वं शिवार्पणम।।

शिव मंत्र जप या स्तुति कर शिव आरती करें। खुशहाल, धनी और सेहतमंद रहने की कामना करें। उन्होंने मौके पर मौजूद श्रद्धालुओं को कहा कि शनि दोष से मुक्ति के लिए महामृत्युंजय मंत्र का पाठ बहुत असरदार है।

रुद्र अवतार हनुमान की उपासना करें या शिव मंत्रों का पाठ भी शनि पीड़ा से रक्षा करता है। इसके अलावा भी कई असरदार मंत्र व विधि है। जिससे शनि देव की कृपा प्राप्त की जा सकती है। लेकिन अंत में ज्योतिषाचार्य कर्म को प्रधान बताते हुए अपने कर्म के पथ पर बिना विमुख हुए चलते रहने की सलाह दी।

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