डीएनबी भारत डेस्क
बिहार की राजधानी पटना में कल शिक्षकों के प्रदर्शन पर हुए लाठीचार्ज पर शुक्रवार को प्रतिक्रिया देते हुए जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार में पटना में लाठीचार्ज करना नियम बन गया है। सरकार ने एक फिक्स्ड पैरामीटर बनाया है कि लोगों को डाक बंगला चौराहा, बेली रोड, हड़ताली चौराहे पर घेरो और लाठियों से पिटवाओ। मुख्यमंत्री या उनके मंत्रियों पर कोई परेशानी नहीं आनी चाहिए। अब जो लाठी खाना है खा लीजिए। ये कहीं न कहीं दिखाता है कि नीतीश कुमार के दिमाग में बैठ गया है कि हम काम करें या न करें, जनता में कितना भी रोष हो कोई न कोई जुगाड़ लगाकर मुख्यमंत्री मुझको ही बने रहना है।
समस्तीपुर के उजियारपुर प्रखंड में पत्रकारों से बातचीत में प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि पटना में कल जो लाठीचार्ज हुआ है, उसमें नीतीश कुमार के बारे में मेरी अपनी धारणा थी कि चाहे जो कुछ भी गलती हो, ये पुराने राजनीतिक लोग लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में विश्वास करने वाले लोग हैं। इन्होंने जीवनभर विपक्ष की राजनीति की है, लेकिन पिछले कुछ समय से मैं देख रहा हूं पटना में लाठीचार्ज करना नियम बन गया है। कल बीजेपी के लोगों के ऊपर लाठीचार्ज किया गया, ये कोई नई बात नहीं है, कोई शिक्षक चला जाए उस पर भी लाठीचार्ज, बेरोजगार बच्चे जा रहे हैं उन पर भी लाठीचार्ज, सरपंच गए उन पर भी लाठीचार्ज, मुखिया गए उन पर भी लाठीचार्ज किया जा रहा है।
…तो फिर उसी दल को वोट करेगा जिसने उसे लाठी से पिटवाया है
प्रशांत किशोर ने लोगों को उनके वोट की ताकत को समझाते हुए कहा कि इस सरकार की ये छवि बन गई है कि पटना में लोग जब अपनी बात को लेकर जाते हैं, चाहे वे जिस भी वर्ग के हों, वो रसोईया हों, आंगनबाड़ी वर्कर हों, आशा वर्कर हों, कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले कर्मचारी हों। हमने देखा है कि बीते एक साल में हर वर्ग के लोग पटना गए हैं और लोकतंत्र में आप किसी पर लाठीचार्ज करवाइएगा, तो आपको डर होगा कि आप चुनाव हार जाएंगे, लेकिन नीतीश कुमार और ज्यादातर बिहार के नेताओं में वो डर खत्म हो गया है। इन नेताओं को मालूम है, जो लोग लाठी खाकर आया है पटना के डाक बंगला चौराहे से, वो आदमी कल जाति के नाम पर फिर उसी दल को वोट करेगा जिसने उसे लाठी से मारी है।