पवित्र पर्व रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा करने बड़ी संख्या में पहुंचे लोग मस्जिद

पूरे देश व प्रदेश के विभिन्न मस्जिदों में उत्साहित मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पवित्र पर्व रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की और एक दुसरे को बधाई दी।

पूरे बिहार के सभी जिलों के विभिन्न मस्जिदों में उत्साहित मुस्लिम समुदाय के लोगों ने पवित्र पर्व रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा की और एक दुसरे को बधाई दी।

डीएनबी भारत डेस्क 

रमजान के पहले जुमे की नमाज अदा करने बड़ी संख्या में उत्साहित लोग देश व प्रदेश के विभिन्न मस्जिदों में पहुंचे। मालूम हो कि इस्लाम धर्मावलंबी रमजान माह को काफी पाक महीना मानते हैं। इसमें पूरे एक माह तक रोजा रखा जाता है तथा रोजा रखकर लोग अल्लाह की इबादत करते हैं। सुबह में सेहरी और शाम में इफ्तार होता है।

पाक माह के पहली जुमे पर मस्जिदों में रोजेदारों की भीड़ उमड़ पड़ी। नमाज के दौरान मस्जिदें खचाखच भरी रहीं और अल्लाह की रजा में रमजान का पहला जुमा बीता। मुकद्दस रमजान के पहले जुमा की नमाज के लिए बड़ी दरगाह मस्जिद में भीड़ उमड़ पड़ी।

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इस मौके पर इमाम महताब आलम मख्तूबी ने कहा कि रोजा सिर्फ भूखे रहने का नाम नहीं है बल्कि इंद्रियों पर नियंत्रण का जरिया है। असल रोजा तो वह है जिससे अल्लाह राजी हो जाए। जब हाथ उठे तो भलाई के लिए, कान सुने तो अच्छी बातें, कदम बढ़े तो नेकी के लिए, आंख देखे तो जायज चीजों को। उन्होंने कहा कि इस बार रमजान में पांच जुम्मा पड़ रहा है इसकी बड़ी अहमियत है।

रमजान का विशेष महत्व जानकारों के अनुसार-

रमजान इस्लामी कैलेंडर का नौवां महीना है। रमजान महीने की 27 वीं रात शब – ए – कद्र को कुरान का अवतार हुआ था। रमजान में तरावीह की नमाज पढ़ने, कुरान पढ़ने अपनी तथा अपने समाज व देश की उन्नति के लिए अल्लाह से दुआ करने ,दान देने और धार्मिक काम करने का बहुत महत्व है।

रमजान कहता है भूखे, प्यासे, बीमार, लाचार व जरूरतमंद लोगों की मदद करो, साथ ही रमजान करने वाले मुस्लिम भाई एवं बहनों के लिए रमजान लोभ ,लालच, अहंकार, मदिरापान व्यभिचार, मूर्ति पूजा, अंधविश्वास आदि को जीवन में धारण न करने और अहिंसा, करुणा ,शिक्षा को जीवन में धारण करने की सीख हमें सिखाता है। यह महीना वर्ष भर का मार्गदर्शक महीना होता है। रमजान याद दिलाता है कि गलत करके वचना अल्लाह से नामुमकिन है। प्यास, भूख गर्मी आदि की परवाह न करना – रोजा इसकी अहमियत को दर्शाता है। रोजा हमें इच्छाओं पर काबू पाना भी सिखाता है।

 

नालंदा संवाददाता ऋषिकेश 

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