पठन- पाठन ही बच्चों के मन और मस्तिष्क को विकसित करता है- ऋषिकेश कुमार

बाल कलाकारों के हाथों में किताबें आते ही खिल उठे बच्चे।

बाल कलाकारों के हाथों में किताबें आते ही खिल उठे बच्चे।

डीएनबी भारत डेस्क 

पठन- पाठन ही बच्चों के मन और मस्तिष्क को विकसित करता है। पढ़ने से कल्पना शीलता बढ़ती है।बच्चों के विकास में बाल साहित्य का अपना एक अलग ही महत्व है। उक्त बातें रविवार को बाल रंग मंच के निदेशक सह उप मुख्य पार्षद नगर परिषद बीहट ऋषिकेश कुमार ने साहित्य अकादमी पर चर्चा तथा उनके बीच साहित्य की पुस्तक वितरित करते हुए व्यक्त किया।

Midlle News Content

उन्होंने कहा कि बाल रंगमंच आर्ट एण्ड कल्चरल सोसाइटी के द्वारा जहां लगभग एक दशकों से निःशुल्क नाट्य प्रशिक्षण देने का काम कर रही है। वहीं बच्चों को नाटक के साथ पढ़ाई में रुचि बनी रहे इसके लिए साहित्य अकादेमी से प्रकाशित पुस्तकों को पढ़ने के लिए बाल रंगमंच के बाल कलाकारों लाया गया। जिससे छोटी – मोटी कहानियों को पढ़ बच्चों में बाल साहित्य के प्रति रुचि बढ़ेगी।

बाल रंगमंच के निदेशक श्री कुमार ने कहा की नाटक करने के साथ – साथ पढ़ाई करना ज़रूरी है। इसलिए साहित्य अकादेमी द्वारा प्रकाशित दर्जनों पुस्तकें कलाकारों के लिए लायी गई है। बेहतर अभिनेता बनने के लिए लगातार अभिनय के साथ कहानियों और नाटकों का निरंतर पढ़ाई आवश्यक होती है। तभी हम अपनी कला को विकसित कर सकते हैं।

बाल कलाकारों के हाथों में किताबें आते ही खिल उठे बच्चे। कलाकारों में आर्यन राज,पवन कुमारा,धर्मवीर कुमार, शिवम कुमार, अंकित कुमार, ऋषभ कुमार, सौरभ कुमार, आयुष कुमार, आयुष झा, प्रियांशु कुमार, रोहित कुमार, विजेन्द्र कुमार, पूर्णिमा कुमारी, आरुषि कुमारी, प्रियंका कुमारी, रिया कुमारी, कंचन कुमारी, मुस्कान कुमारी सहित अन्य शामिल हुए।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार 

- Sponsored -

- Sponsored -