मंसूरचक में बोले आईपीएस विकास वैभव ‘यदि चिंता त्याग चिंतन और संघर्ष त्याग सहयोग की भावना से मेहनत करें तो…’

डीएनबी भारत डेस्क

बेगूसराय के मंसूरचक प्रखंड क्षेत्र के वीरगंज स्थित एक निजी कोचिंग संस्थान में रविवार को युवा संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन लेट्स इंस्पायर बिहार के संरक्षक सह आइजी विकास वैभव, क्षेत्रीय प्रभारी प्रभाकर राय, जिला समन्वयक ब्रजेश कुमार आदि ने संयुक्त रूप से किया। युवा संवाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विकास वैभव ने कहा कि वर्तमान में हमारे आर्थिक अथवा वैचारिक पतन का सबसे बड़ा कारण तो यही है कि हम अपने ही स्वत्व को भूलते जा रहे हैं। अतः भविष्य निर्माण हेतु संकल्पित अभियान का मुख्य उद्देश्य पूर्वजों की उसी वृहत्तर दृष्टि का पुनर्धारण है जिसमे अखंड भारत के प्रथम साम्राज्य को स्थापित करने की क्षमता तब थी। जब न आज की भांति विकसित मार्ग थे, न आधुनिक सूचना तंत्र और न उन्नत प्रौद्योगिकी।

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आज जब आधुनिक काल में संसाधनों की वैसी कमी नहीं है तब तो भूमि को उत्कृष्टता के नवीन सोपान गढ़ने चाहिए थे परंतु फिर भी यदि उन्हीं यशस्वी पूर्वजों के वंशज विकास की गति में अन्य वैसे क्षेत्रों से अत्यंत पिछड़ रहे हैं जिनका हमारे पूर्वजों ने ही कभी नेतृत्व किया था तो कारण एकमात्र दृष्टि के संकुचन की ही है।विकास वैभव ने कहा कि जिस भूमि में भेदभाव से परे चिंतन की परंपरा वेदांत काल से ही स्थापित रही थी उसी में नवीन सकारात्मक अपवाद न प्रस्तुत करते हुए हम जातिवाद, संप्रदायवाद, लिंगभेद आदि में अपने तुच्छ स्वार्थों के निमित्त निरंतर संघर्षरत होते रहे हैं और भविष्यात्मक दृष्टिकोण को भूलकर पतनोन्मुख हो गए हैं। यदि चिंता त्याग कर हम चिंतन करें और संघर्ष त्याग कर सहयोग की भावना के साथ सामुहिक उर्जा को शिक्षा, समता एवं उद्यमिता के मंत्रों के साथ प्रयुक्त करें तो निश्चित अपने जीवन काल में ही उस विकसित बिहार को स्थापित कर देंगे जहाँ शिक्षा अथवा रोजगार के लिए किसी को अन्यत्र जाने की आवश्यकता न हो।

आवश्यकता जागृति तथा कुछ निस्वार्थ सकारात्मक योगदान की है। इसमें युवाशक्ति के साथ-साथ वैसे सभी बिहारवासी, जो अनेक कारणों से आज बिहार के बाहर निवास कर रहे हैं परंतु जिनके धड़कनों में आज भी बिहार बसता है, की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण है। कार्यक्रम का संचालन सुमन ईश्वर ने किया। इस अवसर पर बङी संख्या में छात्र छात्राएं उपस्थित थे।

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