9 अगस्त को किसानों की इक्कीस सूत्री मांगों को लेकर बिहार के सभी जिला मुख्यालय पर किसानो का धरना-प्रदर्शन एवं प्रतिरोध मार्च का होगा आयोजन
बिहार राज्य किसान सभा की राज्य कार्य समिति की की बैठक में लिया गया फैसला
डीएनबी भारत डेस्क
बिहार राज्य किसान सभा की राज्य कार्य समिति की आज केदार भवन पटना में आयोजित बैठक को संबोधित करते हुए बिहार राज्य किसान सभा के महासचिव अशोक प्रसाद सिंह ने कहा कि आज संपूर्ण बिहार सूखा से तबाह है।चारो ओर त्राहिमाम मचा है। जो उत्तर बिहार बरसात के मौसम में बाढ से हर साल तबाह होता था। आज पीने का पानी के लिए वहाँ लोग तरस रहे।सारे बोड़िंग,चापाकल,पोखर,ताल-तलैया और कुआं सभी सूख गए है। चारों ओर पानी के लिए कोहराम मचा है। परन्तु बिहार में डबल इंजन की सरकार कुम्भकर्णी निन्द्रा में सोई है। विगत लोकसभा चुनाव में जनता के जनादेश को अनदेखा कर मोदी सरकार ने अभी संसद में बजट पेश किया। जो कृषि और किसान विरोधी बजट है।
केंद्र सरकार के बजट से किसान,मजदूर,छात्र,युवा,महिला एवं दलित सभी आक्रोशित है। देश में खाली पड़े 31 लाख सरकारी पदों पर बहाली की कोई चर्चा बजट में नहीं है।सभी फसलों के लिए एम एस पी की कानूनी गारंटी के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है।किसानों का कर्ज माफी तथा बाढ़-सूखाड़,जल जमाव का स्थाई निदान के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है।साठ साल की उम्र से सभी किसानों और मजदूरों के लिए ₹10000 मासिक पेंशन के लिए बजट में कोई प्रावधान नहीं है।मनरेगा को कृषि से जोड़कर सालो भर काम की कोई योजना बजट मे नही है।कदवन डैम और उत्तर कोयल नहर परियोजना तथा सभी नहरों का आधुनिकरण का कोई प्रावधान नही है।
बड़े पूंजीपत्तियों पर मेहरबान और किसानों के साथ बेईमानी वाला यह बजट है। किसानों से खेती छीनकर खेती का निगमीकरण के लिए यह बजट बनाया गया है। विश्व का ऐतिहासिक एवं अनोखा किसान आंदोलन जो दिल्ली में एक साल 13 दिन तक चला।मजबूर होकर किसान आंदोलन के सामने केंद्र सरकार झुकी।सरकार ने किसान नेताओं के साथ जो कुछ लिखित समझौता किया। उसको लागू करने के लिए इस बजट में कोई प्रावधान नहीं है। वादा किया है, निभाना पड़ेगा,नही तो गद्दी से जाना पड़ेगा। आम लोगों के आकांक्षा के विपरीत विदेशी कॉरपोरेट के दबाव मे बड़े पूंजीपत्तियों के हित में यह बजट बनाया गया है।इसलिए बड़े पूंजीपति वर्ग और उनकी मीडिया चिल्ला चिल्ला कर बजट के पक्ष में बातें कर रही है और आमलोगों के बीच बजट के पक्ष मे झूठा भ्रम फैलाया जा रहा है कि यह बजट संतुलित है।
इस बजट से देश का विकास होगा।जबकि यह बजट कॉर्पोरेट के विकास के लिए बनाया गया है। इसलिए गांव-गांव में आज इस बजट के प्रारूप को जलाया जाएगा और गांव-गांव में किसान संगठित होकर बजट के खिलाफ सड़कों पर उतरेंगे। उन्होंने कहा कि 9 अगस्त को समूचे भारत में हर जिला मुख्यालय पर किसान संगठित होकर अपने मांगों को लेकर सड़क पर उतरेंगे। बिहार को सूखा क्षेत्र घोषित करो,कॉर्पोरेट खेती छोड़ो और कॉर्पोरेट भारत छोड़ो के केंद्रीय नारा के साथ किसानों की इक्कीस सूत्री ज्वलंत मांगों को लेकर संपूर्ण बिहार के सभी जिला मुख्यालय पर किसान धरना-प्रदर्शन और प्रतिरोध मार्च निकालेंगे।
बैठक की अध्यक्षता किसान नेता प्रभा शंकर सिंह ने की।बैठक को किसान नेता राजीव चौधरी, मनोज मिश्रा,रामचंद्र महतो,रविंद्र नाथ राय,दिनेश सिंह,शंभू शरण, गोपाल शर्मा,रामचंद्र प्रसाद,राम यतन सिंह राकेश, श्री राम राय,रघुनाथ सिंह,बिंदेश्वर राय,राजेंद्र सिंह,बृज भूषण सिंह, चंद्रानंद,राज कुमार,अशोक राय,मनोज यादव,सुर्य नारायण महतो, सुबोध कुमार,वशिष्ठ ना शर्मा, बृजनंदन सिंह,भूषण कुमार पांडे और कमलेश शर्मा आदि ने संबोधित करते हुए प्रस्ताव का समर्थन किया।गांव-गांव में घूम कर सुबे बिहार में 10 लाख किसानों को संगठित कर गोलबंद करने का निर्णय लिया गया।
डीएनबी भारत डेस्क