जिसने अपने धर्म की रक्षा की है धर्म उसकी रक्षा करता है – स्वामी चिदात्मन जी महाराज

डीएनबी भारत डेस्क

सिद्धाश्रम सिमरिया धाम में कथा ज्ञान मंच से पूज्य गुरुदेव स्वामी चिदात्मन जी महाराज ने व्यास पीठ से प्रवचन देते हुए कहा कि श्रेष्ठ व्यक्ति अपने वर्तमान को भूलता नहीं। कथा सुनने से मन की व्यथा दूर होती है कहा गया है कि यज्ञ के पांच अंग हैं जपात्मक, हवनात्मक,पठात्मक, अन्नातमक, ज्ञानात्मक ये सभी यज्ञ के मुख्य अंग कहलाते हैं, इन पांचों के बिना यज्ञ बेकार है,अहंकार के भी तीन भेद होते हैं राजसी, तामसी, सात्विक ।

जब साथ की अहंकार रहेगा तभी आप पूर्णता को प्राप्त कर सकते हैं धर्म करने के तीन चरण है साधक सुजान, सिद्धि कहा गया है कि जो भगवान के भक्त होते हैं जो भगवान को अर्पित करते हैं जिसने अपने धर्म की रक्षा की है धर्म उसकी रक्षा करता है, संसार का निर्माण पांच तंत्र से हुआ है, गुण और कम से चार वर्ण हुए जो कोई भी सपा पंचतंत्र से कम करता है उसको किसी प्रकार की कमी नहीं रहती है ज्ञान का अंतर ही विभाजन का मूल कारण होता है भक्ति के पहले श्रद्धा होनी चाहिए तभी विश्वास जागेगा

भक्ति में जो नियम का पालन करता है वही पूर्णता को प्राप्त करता है जो कमी क्रोधी लोधी है पापी है उनका पुण्य करने पर भी चिन्ह हो जाता है आप चाहे निष्काम भक्ति से पुण्य करें या सकाम भक्ति से करें कहा गया है कि तीन सजावट देश को सती संत और सूर, तीन लजावट देश को कपटी कायर क्रूर । इसी प्रकार से बताया गया है कि देवता वह कहलाते हैं जो संसार को मानते हैं और मानव वह कहलाते हैं जो धर्म को मानते हैं और दानव का गुण वह होता है

जो ना धर्म को मानते हैं ना कर्म को मानते हैं ना संसार को मानते हैं जो अपने सुख में सुखी रहना चाहते हैं क्या ऐसा पुत्र किसी मां-बाप को सुख दे सकता है क्या पुत्र दुराचारी हो तो मां-बाप सुखी रह सकते हैं इसीलिए सबको सत्कर्म के रास्ते पर ही आगे बढ़ना चाहिए।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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