राजद के लोग विकास की बात कर रहे हैं, इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है – प्रशांत किशोर
लालू-नीतीश के 32 साल के जंगल राज में बिहार की जनता का 25 लाख करोड़ रुपया दूसरे राज्यों में चला गया
डीएनबी भारत डेस्क
पूर्वी चंपारण के चकिया स्थित जन सुराज पदयात्रा शिविर में मीडिया के साथ संवाद के दौरान प्रशांत किशोर ने बिहार में उद्योग धंधे और रोजगार के विषय पर कहा कि 1990 में जब लालू जी, मुख्यमंत्री बने तब बिहार का क्रेडिट डिपॉजिट रेसियो 38 प्रतिशत था। इसके बाद लालू जी, के जंगलराज वाले कालखंड में बिहार का क्रेडिट डिपॉजिट रेसियो घटता-घटता 23 प्रतिशत हो गया। नीतीश कुमार के 17 साल के प्रयास के बाद हम वहीं 1990 में पहुंच गए जहां 38 प्रतिशत क्रेडिट रेसियो छोड़ा गया था। इस पूरे 1990 से 2022 के कालखंड के बाद अगर बिहार के राष्ट्रीय औसत माने तो बिहार से करीब-करीब 25 लाख करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में शिफ्ट हो गए हैं। कैश डिपोजिट (सीडी) रेसियो का जिक्र करते हुए कहा, “देश के अग्रणी राज्यों में सीडी रेसियो का अनुपात 90% तक है, जबकि बिहार में ये अनुपात 40% है। इसका मतलब है कि अगर बिहार में लोग 100 रुपए बैंक में जमा करते हैं तो उसमें से केवल 40 रुपए बिहार के लोग ऋण के तौर पर ले सकते हैं। आज लोन न मिलने की वजह से युवा खुद से कोई व्यवसाय की शुरुआत नहीं कर पा रहे हैं। अगर इन्हें लोन मिलता तो दुकान खोल यह अपने आय का साधन खोज पाते। लालू-नीतीश के 32 साल में बिहार का लगभग 25 लाख करोड़ रुपये दूसरे राज्यों में चला गया, जिसके कारण आज बिहार के युवा मजदूरी करने को मजबूर है।”
राजद के लोग विकास की बात कर रहे हैं, इससे हास्यास्पद क्या हो सकता है
प्रशांत किशोर ने जातीय जनगणना के सवाल पर जवाब देते हुए कहा, “कोई भी ऐसी जानकारी जिससे समाज की बेहतरी के लिए सरकार की तरफ से प्रयास किया जा सके या जिससे समाज के बारे में बेहतर समझ हो, उसमें कोई दिक्कत नहीं है। उस नजरिए से जातीय जनगणना होनी चाहिए, मैं उसके पक्ष में हूं। जनगणना का कोई वैधानिक आधार नहीं है, जनता की आंखों में धूल झोंका जा रहा है। यह स्टेट सब्जेक्ट है ही नहीं। आज बिहार में कैटगरी चेंज करके नोनिया और बिंद समाज को एसटी हो जाने का आश्वासन सरकार की तरफ से दे दिया गया है। लोहार को एसटी हो जाने का आश्वासन दे दिया है, जबकि ये अधिकार स्टेट के अंदर आता ही नहीं है। दलितों की गणना हो रही है, उसका वैधानिक आधार है। राजद ऐसा कर रही है तो हम इस पार्टी से अपेक्षा भी क्या कर सकते हैं? राजद वो पार्टी है जो जात, वेबकूफ़ी भरी बातें और नौटंकी करने के अलावा कुछ कर नहीं सकते हैं ये लोग। जिस पार्टी के शासनकाल में बिहार रसातल पर पहुंच गया और वो आज विकास की बात करती है, इससे बड़ी हास्यास्पद की बात क्या हो सकती है?”