खाना हो गर तुझको बेलन की मार, करो पत्नी के मायके वालों पर प्रहार, कवियों ने प्रस्तुत किए एक से एक कविता
सिमरिया धाम में हास्य व्यंग्य से श्रोताओं को लोट पोट कर दिया कवियों ने। 'खाना हो गर तुझको बेलन की मार, करो पत्नी के मायके वालों पर प्रहार- संजीत
डीएनबी भारत डेस्क
इजहारे मुहब्बत के दिन “संजीत” सनम पार्क में कहा गदहा मुझको… मौका था राजकीय कल्पवास मेला सिमरिया धाम में बेगूसराय जिला प्रशासन द्वारा आयोजित कवि सम्मेलन का जहां हास्य, ओज, श्रृंगार के कवियों ने देर रात तक समां बांधे रखा। कवि सम्मेलन का आगाज कवयित्री प्रभा कुमारी ने मां शारदे की वंदना से किया।
गजलकार मनीष मोहक के गजल, कवि अभिलाष मिश्रा ने गणित से साहित्य की ओर पर प्रकाश डाला। विज्ञान के प्रखर शिक्षक प्रकाश कुमार ने आज की समस्या को कविता के रुप में प्रस्तुत किया। कवयित्री सगुफ्ता ताजवर ने श्रृंगार में नारी की चित्रण का खुब बखान किया। मंच अध्यक्ष सह कवि राणा कुमार ने पत्नी द्वारा प्रताड़ित पतियों की व्यथा पर हास्य का रंग घोल दिया। वहीं अजीत झा “संजीत” ने “खाना हो गर तुझको बेलन की मार, करो पत्नी के मायके वालों पर प्रहार। झाड़ू बर्तन ना जाने क्या क्या पड़े, उधर से उछले सीधे हम पे गिरे।। आदमी हम भी थे, अब गधे हो गए… जैसी हास्य व्यंग्य से श्रोताओं को लोट पोट कर दिया।
मंच संचालन कर रहे फिल्म अभिनेता सुंदरम समुद्र ने श्रृंगार की मोहब्बत में विछरण से अलौकिक समां बांध दिया। इस से पूर्व बेगूसराय सांस्कृतिक पदाधिकारी ने आगत कवियों को अंग वस्त्र एवं मोमेंटो भेंटकर सम्मानित किया।
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