शोकहारा की काली मैया को कंधे पर विसर्जन के लिए ले जाने की है परंपरा
लगभग सात किलोमीटर की दूरी में पूरे बाजार का भ्रमण कर मैया को गंगा नदी में किया जाता है विसर्जित
लगभग सात किलोमीटर की दूरी में पूरे बाजार का भ्रमण कर मैया को गंगा नदी में किया जाता है विसर्जित
डीएनबी भारत डेस्क
आस्था का महापर्व दुर्गा पूजा में 12 दिनों तक के भक्तिमय माहौल में महिला एवं पुरूष श्रद्धालु पूजा अर्चना में लीन रहते हैं। तय विधि विधानपूर्वक विसर्जन के कार्यक्रम में श्रद्धालु के चेहरे पर उदासी साफतौर पर देखी जा सकती है। विसर्जन के दौरान पूरे विधि विधान और पूजा अर्चना के साथ तय परंपरा अनुसार विसर्जन के लिए प्रतिमा निकाला जाता है। इसी दौरान बरौनी शोकहारा की काली मैया की प्रतिमा को भक्त कंधे पर लेकर पूरे बाजार का परिक्रमा कर एवं लगभग बरौनी की सभी प्रतिमाएं पूर्व मान्यताओं के मुताबिक कतारबद्ध हो विसर्जन के लिए निकाला जाता है।इस दौरान ढ़ोल नगारे और हजारों की संख्या झूमते जय माता दी के नारे लगाते श्रद्धालु नम आंखों से मैया को विदा करते हैं। इस दौरान पूरा इलाका भक्तिमय माहौल से सराबोर दिखता है।मैया को कंधा देनें के लिए श्रद्धालु प्रदेश, देश से अपने घर आते हैं।
ऐसी मान्यता है जो भक्त सच्ची निष्ठा से कंधा देकर मनोकामना मांगते हैं मैया उनकी मुरादें पूरी करती है। बताते चलें कि बरौनी पूरे क्षेत्र में शांतिपूर्ण माहौल में वर्षों से प्रतिमा विसर्जन के निकलती आ रही है। वहीं कैदीबारी दुर्गा मैया को भी श्रद्धालु कंधे पर ही विदाई करते हैं। वहीं इस दौरान भी दर्जनों प्रतिमाओं के साथ विर्सजन के लिए कतारबद्ध निकलती हैं। इस दौरान प्रतिमा विसर्जन के लिए लगभग भक्त पैदल मैया को बांस बल्ले के सहारे कंधे पर लेकर लगभग 7 किलोमीटर की दूरी तय कर प्रतिमा विसर्जन मधुरापुर सीढ़ी घाट, निपनियां बाया घाट पहुंचते हैं। साथ ही प्रतिमा विसर्जन के रूट पर बाजार के व्यवसायियों एवं समाजसेवियों के द्वारा जगह जगह पेय जल की व्यवस्था की गई थी। मौके पर समाजसेवी संजय कुमार, नेहा मेहता, रौशन मिश्रा, जितेन्द्र कुमार, सुबोध सिंह, दिवाकर गुप्ता, राज कुमार राम शोकहारा काली स्थान मंदिर समिति अध्यक्ष राज आर्यन, मुकेश कुमार, शंभू शर्मा, धर्मेंद्र सिंह, विनीत कुमार, प्रशांत मिश्रा आदि सैकड़ों की संख्या में विभिन्न मंदिर समिति के सदस्य एवं श्रद्धालु मौजूद थे।
बरौनी, बेगूसराय से नीरज कुमार