धार्मिक मान्यता यह है कि जो व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा आराधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है, माता भगवती सभी की माता हैं – मुकेश कुमार मिश्र

 

मां जगदम्बा स्थान असुरारी में आयोजित हो रहे चैती दुर्गा एवं मेला को लेकर श्रद्धालुओं में संदेश देते हुए कहा

डीएनबी भारत डेस्क

चैत्र नवरात्रि हिन्दु धर्म में नवरात्रि का बहुत महत्व है। चैत्र नवरात्रि चैत्र मार्च अप्रेल के महीने में मनाई जाती है, इसे चैत्र नवरात्रि कहा जाता है।नवरात्रि में दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-आराधना की जाती है। धार्मिक मान्यता यह है कि असुरारी स्थित मां जगदम्बा के दरबार में जो व्यक्ति मां दुर्गा की पूजा आराधना सच्ची श्रद्धा और निष्ठा से करता है उसे मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है!

माता भगवती सभी की माता हैं। हर साल चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तक चैत्र नवरात्र का त्योहार मनाया जाता है। नवरात्र में जगत जननी आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है और साथ ही शुभ फल की प्राप्ति के लिए व्रत किया जाता है। उक्त बातें क्षेत्र में प्रसिद्ध पंडित तीलरथ निवासी मुकेश कुमार मिश्र ने बरौनी प्रखण्ड के नगर परिषद बीहट वार्ड संख्या -07 स्थित मा जगदम्बा स्थान असुरारी में आयोजित हो रहे चैती दुर्गा एवं मेला को लेकर श्रद्धालुओं में संदेश देते हुए कहा। वहीं तीनों लोकों से न्यारी सर्वविद्या की धरती काशी विश्वनाथ के वाराणसी निवासी त्रिदंडी स्वामी के शिष्य माता के उपासक ज्ञानेश्वर कुमार ने बताया कि नवरात्रि का इतिहास बहुत प्राचीन है और पुराणों में इसका वर्णन मिलता है।

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इन दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है और इस अवसर पर शक्ति की प्रार्थना की जाती है। वहीं असुरारी निवासी पंडित राहुल कुमार ने कहा कि नवरात्री का महत्व धार्मिक, सामाजिक, और सांस्कृतिक दृष्टिकोण से विशेष मान्यता रखा जाता है। यह हिन्दू त्योहार नवरात्रि देवी दुर्गा की पूजा और आराधना के लिए समर्पित है। नवरात्रि में मां दुर्गा अपनी अद्भुत शक्ति का प्रदर्शन करती है। इन रूपों के माध्यम से वह असुरों और बुराई को पराजित करती हैं और धर्म और न्याय की विजय की प्रतीक्षा कराती हैं। नवरात्रि भारतीय समाज में समरसता, एकता, और सामरिक भावना को प्रोत्साहित करता है। वहीं पंडित ए के झा संजीत ने कहा कि इस त्योहार में लोग सामूहिक रूप से पूजा, आरती, और भजन करते हैं, संगठन करते हैं और एक दूसरे के साथ मिलजुलकर उत्सव मनाते हैं। यह सामाजिक समरसता और व्यापक भारतीय संस्कृति में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। नवरात्रि का महत्व आध्यात्मिक उन्नति को बढ़ाने में भी है।

व्रत रखने, पूजा-अर्चना करने, मन्त्र जप करने, और धार्मिक गानों और कथाओं का संचार करने के माध्यम से लोग अपने आंतरिक स्थिति को सुधारते हैं और आध्यात्मिक उन्नति की ओर प्रगतिशील होते हैं। वहीं इस संबंध में जानकारी देते हुए जगदम्बा स्थान असुरारी के पुरोहित पपरौर निवासी पंडित विष्णु झा ने बताया कि नवरात्रि का त्योहार भारत और अन्य हिंदू जगत में विशेष धूमधाम से मनाया जाता है।वहीं इस संबंध में जानकारी देते जगदम्बा स्थान असुरारी के आयोजक मंडल के सदस्यों ने कहा कि नवरात्रि के दौरान दुर्गा पंडाल लगाते हैं, यहां मां दुर्गा की मूर्ति स्थापित है। यहां लोग भजन गाते हैं, आरती उतारते हैं और मां की कृपा के लिए प्रार्थना करते हैं। पंडालों को आधुनिक और रंगीन बनाने के लिए गहन सजावट की जाती है।

हाल के समय में, नवरात्रि का मानना और उत्साह सामान्यतः बदलते हुए दिख रहे हैं। कुछ लोगों ने नवरात्रि को एक मनोरंजक और सामाजिक उत्सव के रूप में ग्राहकर लिया है। यह एक मौका है जब लोग संगीत, नृत्य, रंगबिरंगे परिधान और मेलों का आनंद लेते हैं। वहीं उन्होंने कहा कि इस संबंध में आदर्श आचार संहिता को देखते हुए प्रशासनिक अनुमति भी मेला आयोजन करने से पूर्व ली जाएगी। पूजा की तैयारी जोरों पर है।तथा सुरक्षा को लेकर स्थानीय प्रशासन का सहयोग भी अपेक्षित है। यहां माता के दरबार में जो भी भक्त आते हैं वह खाली नहीं जाते। माता उनकी वह सभी इच्छाएं पूरी करतीं हैं जो उनके लिए अनुकूल होते हैं।

उन्होंने कहा भक्त तो भक्त होते हैं वह कुछ भी मांग लेते हैं पर यहां विराजमान सभी देवी-देवता उनके अनुकूल के लिए सभी वरदान देते हैं। यहां मां जगदम्बा, माता दुर्गा, माता गौरी, ,बाबा भोलेनाथ, सीताराम ,राधे कृष्ण, बाबा वीर बजरंगी, गणेश कार्तिक, नन्द महाराज, सर्प देवता सहित सभी देवी-देवताओं की पूजा अर्चना नित्य प्रति दिन तीनों सांयकाल में विधिवत रूप से किया जाता है।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट

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