बेगूसराय के तेघ़ड़ा अयोध्या गांव रामलला के प्राण प्रतिष्ठा को लेकर पूरे गांव में उत्सवी माहौल

बेगूसराय जिला के तेघड़ा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अयोध्या गांव को राम जी के वंशज राजा अज के नाम से जाना जाने वाले अजुधा अयोध्या के नाम से जाना जाता है जिसका अपना एक इतिहास है

बेगूसराय जिला के तेघड़ा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत अयोध्या गांव को राम जी के वंशज राजा अज के नाम से जाना जाने वाले अजुधा अयोध्या के नाम से जाना जाता है जिसका अपना एक इतिहास है।

डीएनबी भारत डेस्क 

देश भर में जहां रामलला की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर उत्साह देखा जा रहा है वहीं बिहार के बेगूसराय जिले के तेघरा प्रखंड स्थित अयोध्या गांव के ग्रामीणों में काफी उत्साह देखने को मिल रहा है राम जी के वंशज राजा अज के नाम से जाना जाने वाले अजुधा अयोध्या के नाम से जाना जाता है यह इलाका जिसका अपना एक इतिहास है।

सरयुग के तिरे भगवान श्री राम की नगरी अयोध्या बसी हुई है वहीं बिहार के बेगूसराय का अयोध्या गांव पतित पावनी गंगा के तट पर बसी हुई है जो अवध तिरहुत रोड से दो किलोमीटर गंगा के तट पर है जिसका अलग ही महत्व है। बताया जाता है मुगल काल से मिर्जा और पैगंबर दो भाई था अपनी सम्पति का बटवारा अधा आधा करने पर एक जगह का नाम आधारपुर रखा गया वहीं दूसरे जगह का नाम अजुधा रखा गया।

जहा सैकड़ों सालों से एक बरगद का पेड़ था जिसे अजेगर बड़ के नाम से जाना जाता था। वहीं पूर्व काल मे उत्तरप्रदेश अयोध्या से साधु-संत की टोली जब अजुधा आये तो वहीं अजुधा ठाकुर बाड़ी में स्थान ग्रहण कर मां गंगा का सेवन करने लगे जहा गांव वालों को जिसे जो बन पड़ा अनाज से लेकर गाय, घोड़ा, ऊट, बैल को चारे और साधुओ संत के लिए खाने पीने का इन्तज़ाम से साधु संतो की टोली बहुत खुश हुए।

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उन्होंने ही कहा की इस गांव का नाम अजुधा नहीं अयोध्या होना चाहिए क्योकि यहां के लोग अयोध्या से कम नहीं है एक अयोध्या सरयुग के तट पर है दूसरा अयोध्या गंगा के तट पर है जो एक अद्भुत संयोग है अयोध्या श्री राम की नगरी है जिसका नाम लेने से लोगो की पाप खत्म हो जाती है इसी प्रकार इस अयोध्या का नाम लेने से लोग पुण्य का भागी होंगे।

ग्रामीण अयोध्यावासी भोलन सिंह सहित स्थानीय बड़े बुजुर्ग ने बताते हुए कहा की अजुधा मे पूर्व काल में एक यज्ञ का आयोजन हुआ था। जहां किसी सेठ ने एक सौ आठ कंटर घी दिया था यज्ञ के पुजारी ने थोड़ा-बहुत घी खर्च किया और वाकी घी अपने घर ले गया जहा यज्ञ समाप्त होते ही पुजारी को कोढ़ हो गया। जिससे पुजारी ने कई साधु संत से कही। वहीं करपात्री के शिष्य ने कहा की यज्ञ में कुछ आप किये है अगर यज्ञ का कोई भी सामान लिए है तो वापस गंगा जी में रख दिजिए, पुजारी ने घी का कंटर गंगा जी मे डाल दिया फिर पुजारी जी का कोढ समाप्त हो गया।

फिर दूसरे साल जब यज्ञ शुरू हुआ तो महात्माओं ने पुजारी को गंगा जी से घी का कंटर लाने को बोला तो पुजारी सोच में पर गया तब जाकर महात्माओं ने कहा जाओ गंगा में और घी का कंटर वही रखा हुआ है वही मिलेगा। इस तरह की कई कहानी प्रचलित है। इस अयोध्या गांव की प्रचलित है।

आधारपुर ठाकुरवाडी गोपाल दास महंत, दयाशंकर सिंह बाबा, विवेक गौतम ने बताया कि अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के दिन बेगूसराय के अयोध्या में तरह तरह का आयोजन किया जायेगा मंदिर और गंगा के तट को दीपों से सजाकर दीपोत्सव मनाया जायेगा। बताते चले की मिथिला की अयोध्या गंगा घाट पर जिले से लोग मुंडन संस्कार के अलावे मोक्ष प्राप्त करने के लिए दाह संस्कार करने पहुंचते है

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