नारी देवी का रूप होता है ,लेकिन जिसे मैं हीरा समझ रहा था वह तो नागिन निकली- कथावाचक
बरौनी प्रखंड के नगर परिषद क्षेत्र अन्तर्गत मालती गांव वार्ड संख्या-01 में आयोजित रामकथा के छठे दिन रामकथा उमरी श्रद्धालुओं की भीड़।
नारी देवी का रूप होता है ,लेकिन जिसे मैं हीरा समझ रहा था वह तो नागिन निकली- कथावाचक।
डीएनबी भारत डेस्क
बरौनी प्रखंड के नगर परिषद क्षेत्र अन्तर्गत मालती गांव वार्ड संख्या-01 में आयोजित रामकथा के छठे दिन रामकथा में हिमालय के त्याग तपोभूमि शिव योगी महर्षि राष्ट्रीय संत डॉ दुर्गेश आचार्य महाराज एवं आचार्य महामाया प्रसाद के श्री मुख से छठे दिन कथा में कहा कि अयोध्या में राजा दशरथ राम भगवान को सुबह राज सिंहासन राजगद्दी देने वाले ही थे कि मंथरा ने केकई से कह कर दशरथ से दो वरदान मांग लिया पहला कि राम वन जाए और मेरे बेटे भरत को राजगद्दी मिले। इससे दशरथ जी वचनबद्ध हो गए।
मंथरा ने कहा नहीं तो आप अपना वचन तोड़ दीजिए। तब दशरथ जी कहते हैं नारी देवी का रूप होता है लेकिन जिसे मैं हीरा समझ रहा था तो वह नागिन निकली राम वन जाए नहीं तो कैकेई आत्महत्या कर लेगी। इस बात की गम्भीरता को देखते हुए दशरथ जी ने फैसला लिया। जो राम को 14 वर्ष वनवास और भरत को राज सिंहासन अयोध्या का राजा।
वहीं इस पुनीत अवसर पर यजमान प्रदुमन प्रसाद राय, शंभू झा, प्रखण्ड कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष ओम प्रकाश सिंह, ओमप्रकाश राय, संजय राय, सुनील राय, देवनन्दन राय, विपिन राय, विनोद राय, प्रमोद राय, अमित कुमार, संजीव कुमार, राजू राय सहित हजारों हजार की संख्या में श्रद्धालु ने रामकथा का श्रवण कर अपने जीवन को आह्लादित होता पाया और जन्म जीवन दोनों को धन्य धान्य किया।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धर्मवीर कुमार