डब्लूएसओ के उन्मुखीकरण कार्यक्रम मे परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में प्रतिभागियों को दी गयी जानकारी

डीएनबी भारत डेस्क

सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र बरौनी के सभागार में गुरुवार को परिवार नियोजन कार्यक्रम के सुदृढीकरण हेतु अस्पताल के सभी चिकित्सक, एएनएम, बीसीएम, अनुश्रवण एवं मूल्यांकन सहायक, फार्मासिस्ट सह स्टोर इंचार्ज, परिवार नियोजन परामर्शी, प्रखण्ड के सभी सीएचओ का एक दिवसीय उन्मुखीकरण सह बैठक ( WSO-Whole Site Orientation) का आयोजन पीएसआई इंडिया एवं जिला स्वास्थ्य समिति के सहयोग से किया गया। जिसकी अध्यक्षता प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डा संतोष कुमार झा के द्वारा किया गया।

इस उन्मुखीकरण कार्यक्रम को पीएसआई-इंडिया के प्रबंधक नृपेन्द्र कुमार एवं डा स्निग्धा कुमारी ने संबोधित किया। उन्मुखीकरण का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य केन्द्रों मे कार्यरत सभी कर्मियों को प्रशिक्षित एवं जागरूक करना है । सभी स्वास्थ कर्मियों के माध्यम से परिवार नियोजन से संबंधित सभी सुविधाओं एवं साधनों के बारे मे अस्पताल आए सभी योग्य दंपति को जागरूक करना एवं उन्हे परिवार नियोजन से संबन्धित सुविधाएं उपलब्ध कराना है। इस डब्लू एस ओ उन्मुखीकरण कार्यक्रम मे परिवार नियोजन के सभी साधनों के बारे में सभी प्रतिभागियों को विस्तार से बताया गया एवं तकनीकी जानकारी भी दिया गया ।

प्रभारी चिकत्सा पदाधिकारी डा संतोष कुमार झा ने सभी स्वास्थ्य कर्मियों को तकनीकी रूप से सक्षम बनने पर ज़ोर दिया। उन्होने बताया कि परिवार नियोजन के माध्यम से हम लोगों के जीवन को स्वस्थ्य एवं सुखी बना सकते है। आज बढ़ती आबादी देश के लिए एक गंभीर चिंता का विषय है जिसके लिए हमे आज मिलकर काम करने की जरूरत है। उन्होने बताया की प्रसव अथवा इलाज हेतु अस्पताल आए प्रत्येक योग्य दंपत्ति अथवा महिलाओं को परिवार नियोजन के बारे मे समझाये एवं उनके कोई भी स्थायी अथवा अस्थाई परिवार नियोजन का साधन अवश्य ही दें ।

आज सरकार ने परिवार नियोजन के लिए ढ़ेरों साधन व विकल्प (बास्केट ऑफ चॉइस ) की सुविधा मुफ्त मे सभी स्वास्थ केन्द्रों पर किया है। जरूरत है की लोगों को इसके प्रति जागरूक किया जाए और उन्हे इसके उपयोग हेतु प्रेरित किया जाए। प्रखण्ड स्वास्थ प्रबन्धक संजय कुमार ने बताया की परिवार नियोजन का मतलब सिर्फ बंध्याकरण नहीं होता बल्कि अनचाहे गर्भधारण की जगह मनचाहे गर्भधारण को बढ़ावा देना होता है। हमें छोटा परिवार सुख का आधार की परिकल्पना को साकार करना है। शादी की उम्र कम से कम 21 साल और पहला बच्चा शादी के दो वर्ष के बाद एवं दो बच्चों के बीच कम से कम तीन साल का अंतर रखना बच्चे और मां दोनों ही के अच्छे स्वास्थ्य के लिए जरूरी है।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट