नये कानूनों को लेकर बिहार पुलिस प्रशासन ने अपनी पहल शुरू कर दी है – बी. श्रीनिवासन
इस ऐतिहासिक कानून के बनने के साथ ही India की आपराधिक न्याय प्रणाली में एक नए युग की शुरुआत होगी – प्रो (डॉ) फैजान मुस्तफा
नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित- पी. कन्नन
महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर है खास फोकस – डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़
डीएनबी भारत डेस्क
पटना: सूचना प्रसारण मंत्रालय के प्रेस इन्फोर्मेशन ब्यूरो पटना द्वारा सोमवार को कर्पूरी ठाकुर सदन पटना में तीन नए आपराधिक कानूनों – भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 को लेकर मीडिया कार्यशाला “वार्तालाप का आयोजन किया गया। कार्यशाला का उद्घाटन बिहार पुलिस अकादमी राजगीर के निदेशक बी श्रीनिवासन, चाणक्य राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय पटना के कुलपति प्रो (डॉ) फैजान मुस्तफा, सीआईडी पटना के पुलिस महानिरीक्षक पी कन्नन, पीआईबी नई दिल्ली के महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़, और पीआईबी पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्ज्वलित कर किया। मौके पर पीआईबी-सीबीसी के उपनिदेशक संजय कुमार मौजूद रहे।
उन्होंने कहा कि तीन नए प्रमुख कानूनों का मकसद सजा देने की बजाय न्याय देना है। इन तीन कानूनों से पहली बार हमारी आपराधिक न्यायिक प्रणाली भारत द्वारा, भारत के लिए और भारतीय संसद द्वारा बनाए गए कानूनों से चलेगी। उन्होंने कहा कि इस कानून को लेकर बिहार सरकार ने जो तैयारी की है वह ऐतिहासिक व सराहनीय है। प्रो फैजान ने कहा कि जब नये कानूनों में बदलाव हो रहा है तब और नयी चीजों को जोड़ने की जरूरत थी। उन्होंने मीडियाकर्मियों से आग्रह किया कि मीडिया ट्रायल से बचें, इससे कानूनी व्यवधान पड़ता है। नये आपराधिक कानूनों में कई प्रावधान किए गयें हैं जो स्वागत योग्य हैं, इससे मानवीय पक्ष सामने आएगा।
वार्तालाप को संबोधित करते हुए सीआईडी पटना के पुलिस महानिरीक्षक पी कन्नन ने नए आपराधिक कानूनों का परिचय देते हुए भारतीय न्याय संहिता 2023, भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 और भारतीय साक्ष्य अधिनियम 2023 के प्रमुख बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानूनों से समय पर न्याय मिलेगा। इलेक्ट्रॉनिक तरीके से शिकायत दायर करने के तीन दिन के भीतर FIR दर्ज करने का प्रावधान किया गया है। साथ ही यौन उत्पीड़न के मामलों में सात दिन के भीतर जांच रिपोर्ट देनी होगी।
पहली सुनवाई के 60 दिनों के भीतर आरोप तय करने का प्रावधान किया है। भगोड़े अपराधियों की गैर-मौजूदगी के मामलों में 90 दिनों के भीतर केस दायर करने का प्रावधान है। आपराधिक मामलों में सुनवाई पूरी होने के 45 दिनों के भीतर फैसला होगा। उन्होंने कहा कि नए आपराधिक कानून दंड-केंद्रित नहीं, न्याय केंद्रित है। महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध पर खास फोकस किया गया है।
पीआईबी नई दिल्ली की महानिदेशक डॉ प्रज्ञा पालीवाल गौड़ ने विषय प्रवेश के दौरान कहा कि नये आपराधिक कानून का उद्देश्य पीड़ितों को न्याय दिलाना है। ऐसे में जरुरी है कि जो कानूनी बदलाव हुए हैं उसकी जानकारी जनता को हो। इसी मकसद को लेकर मीडियकर्मियों के साथ वार्तालाप का कार्यक्रम किया गया है। उन्होनें कहा कि 150 साल के कानून में जो नये बदलाव हुए हैं उसे जन जन तक पहुंचाने में मीडिया की भुमिका अहम है। इस कानून का मुख्य उद्देश्य अपराधी को दण्ड देने के साथ-साथ पीड़ित को न्याय दिलाना है। इस कानून में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ हो रहे अपराधों पर अंकुश लगाने के लिए विशेष और त्वरित प्रावधान किए गए है।
वहीं, प्रेस इन्फॉर्मेशन ब्यूरो, पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने अतिथियों और मीडियाकर्मियों का स्वागत करते हुए कहा कि तीन नए आपराधिक कानूनों को संसद द्वारा पारित किया गया है जो 01 जुलाई, 2024 से लागू हो जाएगा। मीडिया कार्याशाला का मुख्य उद्देश्य मीडियाकर्मियों को आपराधिक कानूनों से अवगत कराना है। उन्होंने पत्रकारों से अनुरोध भी किया कि वे इस नये कानून के बारें में आम लोगों तक इसकी जानकारी पहुचाएं ताकि इसका उद्देश्य पूर्ण हो सके। वार्तालाप का संचालन उपनिदेशक संजय कुमार ने किया। वार्तालाप में पटना सहित राज्य भर से संपादक, मीडिया प्रमुख, ब्यूरो प्रमुख और वरिष्ठ संवाददाता मौजूद रहे।
डीएनबी भारत डेस्क