एचपीवी का टीका अपनी बेटियों को सर्वाइकल कैंसर होने से बचा सकता है – डॉ अनुपम कुमारी
डीएनबी भारत डेस्क
टीकाकरण से गर्भवती, किशोरी बच्चों और महिलाओं की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ता है। उक्त बातें 24-30 अप्रैल विश्व टीकाकरण सप्ताह पर संदेश देते व टीकाकरण अभियान को लेकर जागरूकता लाते हुए नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डा संजय कुमार एवं डा विजयंत कुमार , डा अनुपम कुमारी और डा संतोष कुमार झा ने व्यक्त किया। सदर अस्पताल बेगूसराय के चिकित्सक व स्पर्श न्यू वोर्न एंड चाइल्ड हॉस्पिटल के निदेशक नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डा संजय कुमार ने कहा कि बचपन में सही समय पर हुआ टीकाकरण हर वर्ष दुनियाभर में अनुमानित 40 लाख से अधिक लोगों की जान बचाती है।
वहीं डा विजयंत कुमार ने कहा कि बच्चे के इस दुनिया में आने के साथ ही टीकाकरण प्रकिया शुरू हो जाती है। सेंटर ऑफ डिज़ीज़ कन्ट्रोल एंड प्रिवेंशन के अनुसार टीकाकरण जीवन भर में करीब 21 बिमारियों व इंफेक्शन से हमारा बचाव करता है। डा संजय कुमार ने एक खास बातचीत में कहा कि टीकाकरण स्वस्थ जीवन का आधार है। और प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल का एक प्रमुख घटक भी है। वहीं टीकाकरण क्यों है जरूरी के सवाल पर समस्तीपुर जिले के अनुमंडलीय अस्पताल दलसिंहसराय के चिकित्सक व बेगूसराय शहर के महमदपुर स्थित मंगलमय हॉस्पिटल के निदेशक नवजात एवं शिशु रोग विशेषज्ञ डा विजयंत कुमार ने कहा कि बचपन में लगे कई टीके व्यक्ति के शारीरिक व मानसिक विकास में सहायक होती है।
हर वर्ष विश्व टीकाकरण सप्ताह का थीम अलग होती है। इस वर्ष की थीम है द बिग कैच -अप।इसका मूल उद्देश्य उन बच्चों को जल्द से जल्द ढूंढना और उनका टीकाकरण करना है,जो कोरोना महामारी के दौरान जीवन रक्षक टीके लेने से चूक गए हैं। इसके चलते दुनियाभर के देशों को आवश्यक टीकाकरण सेवाओं में तेजी लाने और संसाधनों की आपूर्ति करने का आह्वान किया जा रहा है।
वहीं नियमित टीकाकरण पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी बरौनी डॉ संतोष कुमार झा ने विस्तृत जानकारी देते हुए बताया कि पांच वर्ष तक के बच्चों को दिए जाने वाले टीके।
जन्म के समयः-
बीसीजी,ओरल पोलियो ड्रॉप्स,ओपीवी जीरो डोज, हेपेटाइटिस बी की वैक्सीन लगती है। प्राइमरी सिरीज़ में शिशु के जन्म के छः सप्ताह, 10 सप्ताह, 14 सप्ताह के होने पर पेंटाववैलेंट वैक्सीन लगायी जाती है। जो 8 बिमारियों को कवर करती है। इसके अलावा डायरिया के लिए रोटावायरस, निमोनिया के लिए न्यूमोकोकल और पोलियो के लिए वैक्सीन लगायी जाती है।
जन्म के 6, 10 और 14 सप्ताह में पोलियो वैक्सीन या ओपीवीः-
1,2,3 की ओरल पोलियो ड्रॉप्स दी जाती है। रोटावायरस ड्रॉप्स की 3 डोज भी पिलायी जाती है। पहली डोज 6-12 सप्ताह, दुसरी 4-10 सप्ताह और तीसरी 32 सप्ताह या 8 महीने के बीच दी जाती है।
9 महीने मेंः-
एमएमआर या खसरे मिजल्स, म मम्स और रूबेला की कॉम्बीनेशन वैक्सीन लगती है।ओरल पोलियो ड्रॉप्स की दुसरी डोज पिलायी जाती है। विटामिन ए की 9 डोज दी जाती है।9 महीने पूरे होने पर बच्चों को जैपनीज एन्सेफेलाइटिस/दिमागी बुखार दो डोज दी जाती है।
12 वें महीने परः-
हेपेटाइटिस ए वैक्सीन दी जाती है। यह 2 तरह की होती है – लाइव वैक्सीन, जिसकी सिंगल डोज दी जाती है, दुसरी इनएक्टिव वैक्सीन,जिसकी 6 महीने के अंतराल पर पर दो डोज 12वें और 18वें माह में दी जाती है।
15 वें माह पर दी जाने वाली वैक्सीनः-
इस उम्र के बच्चों को एमएमआर सेकंड डोज, वैरीसेला 1 चिकनपाक्स के लिए दी जाती है।
बूस्टर वैक्सीनः 15वें महीने पर नीमोकोकल वैक्सीन वैक्सीन का बूस्टर डोज दी जाती है। 16-18वें महीने में डीपीटी बूस्टर, इंजेक्टेड पोलियो वैक्सीन लगायी जाती है। इनएक्टिव का बूस्टर डोज 18वें महीने में लगायी जाती है।
4 – 6 वर्ष में ज़रुरी वैक्सीनः-
डीपीटी वैक्सीन बूस्टर डोज, एमएमआर वैक्सीन की तीसरी डोज और वैरीसेला वैक्सीन की दुसरी डोज दी जाती है।
बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट