डीएनबी भारत डेस्क
रुपए के बदले सरकारी नौकरी दिलाने से संबंधित धोखाधड़ी के मामले में शिकायतकर्ताओं से आवेदन लेने से लेकर केस दर्ज करने तक घोर लापरवाही बरती गई। पहले तो पुलिस, शिकायतकर्ताओं से आवेदन लेने तक से आनाकानी कर रही थी। मामला मीडिया के संज्ञान में आने के बाद नगर थाना पुलिस ने 16 जुलाई के दिन और रात भर बार-बार आवेदन लेने का खेल जारी रखा।
पहले तो दिन में शिकायतकर्ताओं को उनके रुपए आरोपी से वापस दिलाने के नाम पर खेल चलता रहा। इस दौरान जहां आरोपी को थाने के अंदर अच्छी ट्रीटमेंट उपलब्ध कराई जा रही थी। वहीं शिकायतकर्ता लगातार कई घंटे तक दिन में भूख और प्यास से व्याकुल थाना के बाहर खड़े होने को मजबूर थे। जबकि आरोपी को बैठने के लिए कुर्सी, सोफा और पंखा सहित अन्य सुविधा उपलब्ध थी।
17 जुलाई की भीषण गर्मी में आरोपी को हाजत में बंद किए जाने के बाद उसे एक बार फिर से स्पेशल चेंबर में ले जाया गया। बता दें कि इससे पूर्व थाना सिरिस्ता में आरोपी मजे से खाने के लिए तंबाकू बनाते (खैनी चुनाते) हुए दिखाई दिया। रुपए लेकर स्वास्थ्य विभाग में नौकरी देने के धोखाधड़ी के मामले में शिकायतकर्ताओं ने दैनिक भास्कर को बताया कि एफआईआर दर्ज करने के नाम पर थाना के एक पुलिस पदाधिकारी के द्वारा उनसे 30 हजार रुपए लिया गया है।
शिकायतकर्ताओं के अनुसार 16 जुलाई की देर शाम के बाद से कथित तौर पर जबरन उनसे कई आवेदन लिए गए। हर आवेदन अपने पहले वाले आवेदन से भिन्न व कमजोर रह रहा था। दिन में जहां एग्रीमेंट बनाकर उनसे लिए गए 95 लाख रुपए वापस दिलाने की बात हो रही थी। वहीं प्रथम आवेदन में शिकायतकर्ताओं से 90 लाख रुपए के धोखाधड़ी की बात कही गई थी। रात होते-होते कई आवेदन भी चेंज हो गए और धोखाधड़ी की रकम 95-90 लाख से घटकर 50 लाख रुपए पहुंच गई।
नगर थानाध्यक्ष आशुतोष कुमार ने बताया कि आरोपी राजेश रोशन को गर्मी के कारण चक्कर आ रहा था, इसलिए उसे पंखा दिया गया था। वहीं कई सवालों के जवाब में उन्होंने कहा कि इस संबंध में वरीय पदाधिकारी ही कुछ बता सकते हैं। बता दें कि पहले से लेकर चौथे आवेदन तक वैशाली जिले के भगवानपुर के बताया जा रहा है एक स्वास्थ कर्मी का नाम हटाया गया। धोखाधड़ी कर वसूल किए गए रुपए 90 लाख रुपए की जगह 50 लाख रुपए दर्शाया गया।
बताते चलें कि राजेश रोशन जिसे पुलिस को अपना पता मुजफ्फरपुर जिले के गायघाट के आसपास का रहने वाला बताया है। दरअसल सूत्रों के अनुसार उसका घर सकरा थाना क्षेत्र के ढोली के आसपास का है। वह मुफ्फसिल थाना क्षेत्र के रहने वाले एक प्रभावशाली व्यक्ति के शहर के पंजाबी कॉलोनी स्थित मकान में किराएदार के रूप में रहा करता था। वहीं मकान मालिक जोकि अपने काम-धंधे के सिलसिले में पटना में रहा करते थे। किराएदार राजेश रोशन उनकी अनुपस्थिति में उनके उस मकान को बेचने के लिए पार्टी से 50 लाख रुपए भी ले लिया था। मकान खरीदने वाली पार्टी और राजेश रोशन के बीच कचहरी के आसपास किसी चाय दुकान पर उस मकान के लोकेशन और उसकी बिक्री को लेकर बात हो रही थी।
उसी दौरान मकान मालिक केक परिचित व्यक्ति उस चाय दुकान पर मौजूद थे। उनके मकान बिक्री के संबंध में जानकारी मिलने के बाद उनके परिचित ने उनसे फोन कर मकान बेच जाने के संबंध में पूछताछ की जिसके बाद उस मामले का खुलासा हुआ था। हालांकि मकान मालिक प्रभावशाली व्यक्ति थे, लेकिन बावजूद इसके उन्हें मकान खाली करवाने में काफी परेशानी का सामना करना पड़ा था। यह घटना लगभग 5 साल पहले की बताई गई है। इसके अलावा शहर के मोहनपुर रोड स्थित एक पेट्रोल पंप के पीछे वाली जमीन के मामले में भी उसके द्वारा धोखाधड़ी का प्रयास किया गया था। वहीं शहर के पंजाबी कॉलोनी में ही वह एक रिटायर्ड पुलिस पदाधिकारी के यहां किराए पर रहता था। जहां भी उसने फ्रॉड का प्रयास किया था, लेकिन रिटायर्ड पुलिस पदाधिकारी के द्वारा किसी तरह से उसको वहां से हटाया गया था।
मामलों को लेकर उस समय नगर थाना व मुफ्फसिल थाना में शिकायत भी की गई थी। हालांकि इस संबंध में पूछे जाने पर पुलिस ने ऐसे किसी मामले के बारे में जानकारी होने से इनकार किया है। वहीं इस मामले पर एएसपी संजय कुमार पांडे ने बताया कि मामला संज्ञान में आने के बाद साइबर डीएसपी आशीष राज को इस मामले की जांच कर उचित कार्रवाई का निर्देश दिया गया था। इसके बाद सभी शिकायतकर्ताओं से बारी-बारी बात की गई। आरोपी से भी गहनता के साथ पूछताछ की गई। इसके बाद शिकायतकर्ताओं के द्वारा उपलब्ध कराए गए साक्ष्य के आधार पर एफआईआर दर्ज कर आरोपी को जेल भेजा गया है। वहीं सभी थानों पर निगरानी रखी जा रही है। थानों में पदस्थापित पदाधिकारियों की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
समस्तीपुर से अफरोज आलम