पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि सामाजिक जीवन के शुरूआती दौर में मुचकुंद कला संस्कृति की जनपक्षीय संस्था प्रतिबिम्ब से जुड़े थे। इसके विभिन्न सांस्कृतिक आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे।
डीएनबी भारत डेस्क
दिनकर पुस्तकालय एवं राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति, सिमरिया के द्वारा स्मृतिशेष युवा विचारक मुचकुंद मोनू की तीसरी पुण्यतिथि शुक्रवार को दिनकर पुस्तकालय के मुचकुंद वाचनालय में मनाई गई। इस अवसर पर मुचकुंद के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कवि पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि सामाजिक जीवन के शुरूआती दौर में मुचकुंद कला संस्कृति की जनपक्षीय संस्था प्रतिबिम्ब से जुड़े थे। इसके विभिन्न सांस्कृतिक आंदोलनों में बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया करते थे।
इसी दौरान दिनकर पुस्तकालय से भी जुड़े। उन्होंने कहा कि पुस्तकालय के सचिव के रूप में मुचकुंद के कार्यकाल को स्वर्णिम काल कहा जा सकता है। मुचकुंद में नेतृत्व का विशेष गुण था। उसके चिंता के केंद्र में हमेशा पुस्तकालय, पुस्तक और पाठक हुआ करता था। पुस्तकालय के वरिष्ठ कार्यकारिणी राजेन्द्र राय नेताजी ने कहा कि मुचकुंद की भावना विद्यालय और पुस्तकालय से जुड़ा हुआ था। उसके द्वारा बनाए गए रास्ते पर चलने से पुस्तकालय का विकास होगा। पुस्तकालय के पूर्व अध्यक्ष राजेश कुमार सिंह ने कहा कि पुस्तकालय की गरिमा को बनाये रखने में मुचकुंद का अहम योगदान रहा है।
मौके पर समिति के अघ्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा, पुस्तकालय उपाघ्यक्ष ललन कुमार सिंह, पुस्तकाघ्यक्ष विष्णुदेव राय, कोषाघ्यक्ष मनीष कुमार, उपसचिव कृष्ण मुरारी, विजय कुमार चौधरी, सेवानिवृत्त सैनिक गीता राय, कृष्णनंदन सिंह पिंकू, जनार्दन राय, सुनील कुमार सिंह, रंजीत कुमार सिंह, अजीत कुमार, वार्ड सदस्य नीतिश कुमार आदि उपस्थित थे।
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