निस्वार्थ प्रेम से मिलता है परमानंद,श्री देवजी महाराज
डीएनबी भारत डेस्क
बेगूसराय,खोदावंदपुर-निस्वार्थ प्रेम से परमानंद की प्राप्ति होती है और जीवन का अलौकिक सुख मिलता है जो प्रेम श्री कृष्णा और राधा कथा जो प्रेम कृष्ण और मीरा का था ।कृष्ण और राधा का प्रेम निस्वार्थ ,अलौकिक ,शाश्वत और सार्थक है यही सत्य है यही गीता का सार्थकता है ।उक्त बातें प्रखंड के श्री राम जानकी ठाकुरबाड़ी चलकी में आयोजित श्रीमद् भागवत कथा के पांचवें में संध्या बुधवार को कथावाचक श्री देव जी महाराज ने ज्ञान मंच से अपने प्रवचन के दौरान कहा । उन्होंने कहा भागवत समस्त पापों को नास करने वाले हैं । इनका श्रवण मात्र से मनुष्य समग्र दोषों से मुक्त होता है और परमधाम को प्राप्त करता है गीता वह साहित्य है जिसमें जीवन का सच्चा दर्शन समाविष्ट है ।
कृष्ण का जीवन दर्शन ही कर्म पर आधारित है और करमार्थ पुरुष कभी फल की कामना नहीं करता है कोई भी सद कर्म निष्फल नहीं होता है ।इसलिए हम मानव को कर्म करना चाहिए फल की चिंता नहीं करना चाहिए ।फल का भार परमपिता परमेश्वर श्री कृष्णा पर छोड़ देना चाहिए ।यही गीता का सार तत्व है ।मनुष्य जीवन तमाम योनियों में सर्वश्रेष्ठ योनी है ।यह शरीर हर काम को कर सकता है लेकिन मनुष्य इस माया लोक में कामवासना के घिकर लोभ मोह धन संग्रह के फेर में लगा रहता है जो सबके सब मिथ्या हैं झूठ हैं उसी में अपने जीवन को खापा देता है । लेकिन जो पुरुष जो व्यक्ति जीवन की सार्थकता को समझता है और जिस काम के लिए मनुष्य का शरीर ईश्वर ने दिया है वह सेवा ,सत्कर्म परोपकार ,भलाई इन को सामने सामने रखकर जो कोई कार्य करता है उसका जीवन सफल होता है और उसे परमानंद की प्राप्ति होती है ।
बेगूसराय खोदावंदपुर संवाददाता नितेश कुमार की रिपोर्ट