बेगूसराय सांसद सह केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह के बयान का श्री रामचरित मानस प्रचार संघ ने किया समर्थन

समाधि और भूमि निक्षेप की व्यवस्था हिंदू धर्मशास्त्र में- आचार्य अविनाश शास्त्री

समाधि और भूमि निक्षेप की व्यवस्था हिंदू धर्मशास्त्र में- आचार्य अविनाश शास्त्री

डीएनबी भारत डेस्क 

भारतीय परंपरा एवं धर्म शास्त्रों के अनुसार षोडश संस्कार की व्यवस्था बनाई गई है जो कि परंपरागत ही नहीं बल्कि शास्त्रीय भी है विविध प्रकार के शास्त्रों में 16 संस्कारों की चर्चा हुई है।
पूरे दुनिया की अलग-अलग सभ्यता एवं संस्कृतियों में मरने के बाद इस भौतिक शरीर के अंतिम गति की व्यवस्था बनाई गई है जिसके अंतर्गत अलग-अलग जाति, अलग-अलग धर्म अलग अलग संप्रदाय एवं पारंपरिक रूप से शरीर की गति दी जाती है।

हिंदू संस्कृति के गरुड़ पुराण में इसका व्यापक वर्णन है जिसके अंतर्गत तीन प्रकार के अंत्येष्टि कर्म की चर्चा है
पहला नदियों में प्रवाह करना, दूसरा भूमि में निक्षेप अर्थात गारणा, तीसरा दाह संस्कार करना। हिंदू संस्कृति में वैसे लोग जो संयास दीक्षा ग्रहण करके सन्यासी जीवन जीते हैं जिसके अंतर्गत गिरी गोस्वामी, सरस्वती भारती, आदेश संत सन्यासी परंपरा के लोग होते हैं। उन्हें जल समाधि अथवा भूमि समाधि की व्यवस्था गरुड़ पुराण में बतलाई गई है दूसरी ओर ग्रंथों को पंचतत्व के शरीर को पंचतत्व में विलीन करने की व्यवस्था के अंतर्गत दाह संस्कार का विधान कहा गया है।

सन्यास परंपरा के अलावे जन्म से 27 माह तक के शिशुओं की मृत्यु होने पर भूमि में ही निक्षेप करने का शास्त्र सम्मत निर्णय है एवं पारंपरिक रूप से ऐसा ही होता है। आए दिन जनसंख्या वृद्धि के कारण स्थान अभाव होते जा रहा है जिससे हमारी इस परंपरा के ऊपर संकट का बादल गहरा रहा है और दूसरी तरफ इस और सरकार का कोई ध्यान भी नहीं है। मुसलमानों के लिए कब्रिस्तान की व्यवस्था शुरू से ही है जिसे सरकार द्वारा आधिकारिक रूप से घेराबंदी करते हुए स्थाई बना दिया गया है। परंतु शिशुओं की मृत्यु होने पर भूमि में निक्षेप या सन्यासियों के मृत्यु होने पर भूमि समाधि देने की कोई व्यवस्था नहीं होना दुर्भाग्यपूर्ण है।

उक्त बातें ज्योतिषाचार्य सह संयुक्त महामंत्री श्री रामचरित मानस प्रचार संघ के संयुक्त महामंत्री आचार्य अविनाश शास्त्री ने कहा एवं उन्होंने राज्य सरकार और केन्द्र सरकार से हिंदू सन्यासियों के भूमि समाधि एवं शिशुओं की मृत्यु उपरांत भूमि समाधि के लिए सार्वजनिक रूप से अधिकारिक भूमि उपलब्ध कराने की मांग की।

Begusarai
Comments (0)
Add Comment