श्रीकृष्ण एवं सुदामा की मित्रता के प्रसंग पर श्रोता श्रद्धालुओं के आंखे हुई नम

बेगूसराय जिला के तेघड़ा प्रखंड अंतर्गत गौरा एक भगवती स्थान के पास आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का विधिवत हुआ समापन।

बेगूसराय जिला के तेघड़ा प्रखंड अंतर्गत गौरा एक भगवती स्थान के पास आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का विधिवत हुआ समापन।

डीएनबी भारत डेस्क 
तेघड़ा प्रखंड अंतर्गत गौरा एक भगवती स्थान के समक्ष आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ का विधिवत समापन हो गया। इस दौरान क्षेत्र में भक्तिमय वातावरण से श्रद्धालुओं ने श्री राधेश्याम शास्त्री जी के मुखारविंद से कथा वाचन का रसास्वादन किया।

अंतिम उपदेश में शास्त्री राधेश्याम जी ने कहा कि श्रीकृष्ण और सुदामा जैसी मित्रता आज कहां है। द्वारपाल की मुख से सुदामा का नाम सुनते ही द्वारकाधीश नंगे पांव मित्र की अगवानी करने राजमहल के द्वार पर पहुंच गए। बचपन के मित्र को गले लगाकर भगवान श्रीकृष्ण उन्हें राजमहल के अंदर ले गए और अपने सिंहासन पर बैठाकर स्वयं अपने हाथों से उनके पांव पखारे।

शास्त्री जी ने कहा कि सुदामा से भगवान श्रीकृष्ण ने मित्रता का धर्म निभाया और दुनिया के सामने यह संदेश दिया कि जिसके पास प्रेम धन है वह निर्धन नहीं हो सकता। राजा हो या रंक मित्रता में सभी समान है। उन्होंने कहा कि मनुष्य स्वयं को भगवान बनने के बजाय प्रभु का दास बनाने का प्रयास करे।

क्योंकि भक्तिभाव देखकर जब प्रभु में वात्सल्य जगता है तो वह सब कुछ छोड़ कर अपने भक्तरूपी संतान के पास दौड़े चले आते हैं। गृहस्थ जीवन में मनुष्य तनाव में जीता है जबकि संत सद्भाव में जीता है। उन्होंने कहा कि यदि संत नहीं बनते तो संतोषी बन जाओ संतोष सबसे बड़ा धर्म है।

महंत प्रेमदास ब्रह्मचारी जी ने कहा कि अन्य ग्रंथ मनुष्य को जीवन देने की कला सिखाती है जबकि श्रीमद् भागवत कथा मनुष्य को मुक्ति का मार्ग सिखाती है। सच्चा आश्रम के महंथ हरि ओम जी ने बताया कि हवन यज्ञ से वातावरण एवं वायुमंडल शुद्ध होने के साथ-साथ व्यक्ति को आत्मिक बल मिलता है। जिससे व्यक्ति में धार्मिक आस्था जागृत होती है और दुर्गुणों के बजाय सद्गुणों के द्वार खुलते हैं।

अंतिम दिन के अनुष्ठान में ज्ञान यज्ञ के संरक्षक व व्यवस्थापक पप्पू पाठक ने बताया कि राधेश्याम शास्त्री जी महाराज के सानिध्य में 3 मार्च से 9 मार्च तक संपन्न हुए यज्ञ में वृंदावन तथा अयोध्या आदि देवस्थली से कई संतों का आगमन हुआ। जिन्हें 10 मार्च को आयोजित होने वाले भंडारे के अवसर पर सभी संतो को अंग वस्त्र देकर सम्मानित किया जाएगा।

साथ ही प्रसिद्ध कथावाचक राधेश्याम शास्त्री जी एवं उनके सहयोगी टीम को भी सम्मानित किया जाएगा। मौके पर अशोक पाठक, रौशन पाठक, अमित पाठक, भूषण पाठक, बाबू साहेब पाठक, रंजीत पाठक, बजरंग बली, अमित कुमार मिश्रा के अलावे भारी संख्या में श्रद्धालु मौजूद थे।

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