संगीत ने ही मुझे आपसे और दुनिया से मिलने का मौका प्रदान किया है – विदुषी कलापिनी कोमकली

 

डीएनबी भारत डेस्क

मध्य विद्यालय बीहट के सभागार में संगीत नाटक अकादमी से सम्मानित विदुषी कलापिनी कोमकली ने जब राग मियां मल्हार गाया तो फिर क्या था बोले रे पपीहा….तो हॉल तालियों से गूंज उठा। फिर बारी थी सूरदास के पदों को संगीत में पिरोने वाले पद्मश्री कुमार गन्धर्व के भजन की गोकुल प्रलत भैए हरि आई..।

तबला पर संगत कर रहे थे शंभुनाथ भट्टाचार्य और हारमोनियम पर दीपक खसरावल। मूलतः ग्वालियर घराने के दुनियां भर में शास्त्रीय संगीत को लेकर जाने वाले कुमार गन्धर्व की पुत्री कलापिनी कोमकली ने वैष्णवजन तो तेने कहिए पीर पराई…को बच्चों के साथ गाकर कार्यक्रम का समापन किया। इस मौके पर उन्होंने कहा कि हर राग का अपना व्याकरण है।

अब यह कलाकर पर निर्भर करता है कि वो उस खाली जगह पर अपना क्या प्रयोग करते हैं। उन्होंने संगीत के प्रति आभार जताते हुए कहा कि संगीत ने ही मुझे आपसे और दुनिया से मिलने का मौका प्रदान किया है। कार्यक्रम का उदघाटन स्पीक मैके के जिला समन्वयक शिव प्रकाश भारद्वाज, विद्यालय प्रधान रंजन कुमार, आकाश गंगा रंग चौपाल के सचिव गणेश गौरव, बिहार इप्टा के अमरनाथ सिंह, पत्रकार पुष्पराज समाजसेवी अजय कुमार द्वारा दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया।

राग मल्हार और स्वर विदुषी कलापिनी कोमकली की सुरीली आवाज के साथ लय और ताल के साथ हो रही प्रस्तुति पीछे पूरा सभागार झूम रहा था। सभागार में मंच के सामने बैठे बच्चे राग से भले ही अनभिज्ञ थे पर स्वर और ताल पर झूम रहे थे। मौका था मध्य विद्यालय बीहट और आकाश गंगा रंग चौपाल एसोसिएशन बरौनी द्वारा स्पीक मैके के तहत हिन्दुस्तानी शास्त्रीय गायन का। इस अवसर पर शिक्षिका अनुपमा सिंह, अमर कुमार सिंह, रूपेश कुमार, नीलमणि रंजन, लोकगायक मुकेश झा, सहित अन्य के द्वारा कलाकारों का सम्मान अंगवस्त्र से किया गया।

मौके पर राजीव कुमार बिरला, सुबोध कुमार, बलिराम, राजू, निशु, निधि, कशिश, अभिनव कुमार, विद्यालय के शिक्षक संजीत कुमार, पूनम कुमारी, सोनम कुमारी, प्रीति कुमारी, नूतन कुमारी, विभा कुमारी, किरण कुमारी, संगीता कुमारी, कुमारी नीलम, प्रियरेवती, नौशाबा खातून, प्रभा, सचिव रिंकू कुमारी सहित अन्य उपस्थित थे।

बेगूसराय बीहट संवाददाता धरमवीर कुमार की रिपोर्ट