डीएनबी भारत डेस्क
दूरदराज के गांवों से इलाज करवाने बेगूसराय शहर आने वाले गरीब, जरूरतमंद मरीजों एवं उनके परिजनों के साथ ही मेहनतकशों को रात में भूखा नहीं सोना पड़े इसी उद्देश्य से बेगूसराय में युवाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं की अनोखी पहल ”साईं की रसोई” ने शानदार 3 वर्ष से अधिक समय पूरा कर एक नया कृतिमान स्थापित किया है। साईं की रसोई के माध्यम से युवाओं की टोली द्वारा जरूरतमंदों को मात्र पांच रुपये में रात्रि भोजन मुहैया कराया जा रहा है। रसोई खत्म होने के तुरंत बाद शहर में घूम-घूमकर विभिन्न चौक-चौराहे-मुहल्ले में जाकर दिव्यांग, विक्षिप्त, फुटपाथ पर सोने को मजबूर निहायत ही जरूरतमंद को रात में मुफ्त में भोजन का पैकेट भी उपलब्ध कराया जाता है।
29 अगस्त 2019 को पांच युवा किशन गुप्ता, नितेश रंजन, अमित जायसवाल, पंकज कुमार एवं निखिल राज ने बेगूसराय सदर अस्पताल के समीप साईं की रसोई की शुरुआत की। आज यह मुहिम जरूरतमंदों के लिए एक बडी उम्मीद बन कर उभरी है। अब इनकी टीम पांच युवाओं से बढ़कर 30 युवाओं की हो चुकी है, जिसमें हर पेशे से जुड़े लोग शामिल हैं और सबका बस एक ही उद्देश्य है जरूरतमंदों के लिए खड़े रहना। चाहे रात का भोजन उपलब्ध करवाना हो, बाढ़ एवं कोरोना जैसे आपदा के समय में जरूरतमंदों की मदद करनी हो, पुस्तक दान हो, सबमें टीम साईं की रसोई ने आगे आकर मदद की है।
सबसे बड़ी बात है कि कोरोना वायरस के डर से जब लोग घर से बाहर नहीं निकल रहे थे, एक-दूसरे से मिलने से भी परहेज कर रहे थे, उस दौरान भी साईं की रसोई टीम ने अनवरत लोगों को भोजन उपलब्ध कराया। साईं की रसोई के द्वारा सिर्फ भोजन ही उपलब्ध नहीं कराया जाता है, बल्कि प्राकृतिक आपदा के समय भी जरूरतमंदों की मदद कई स्तर पर की जाती रही है। बाढ़ के समय बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में जाकर पका हुआ भोजन, सूखा भोजन, दवाइयां समेत कई प्रकार से राहत पहुंचाना हो या कोरोना जैसे महामारी में राशन और पका हुआ भोजन वितरण हो, साईं की रसोई टीम मुस्तैदी से सामाजिक कार्यों में लगी हुई है। यही कारण है कि आज साईं की रसोई किसी परिचय की मोहताज नहीं रही।
टीम के सदस्य जरूरतमंदों के लिए हरेक स्तर से सदैव आगे रहते हैं। जन्मदिन, वैवाहिक वर्षगांठ एवं पुण्यतिथि सहित कई अन्य मौके पर लोग रसोई में आकर ना सिर्फ आर्थिक मदद करते हैं, बल्कि अपने तरफ से सामान्य भोजन के अलावे मिठाई सहित अन्य भोजन सामग्री भी लोगों के बीच वितरित करते हैं। रसोई के संस्थापक सदस्य नितेश रंजन और अमित जायसवाल ने बताया कि मौजूदा समय में बहुत से लोग ऐसे हैं, जिन्हें रोज एक समय का भोजन भी बहुत मुश्किल से नसीब होता है। हमारे देश में लाखों लोग दो जून की रोटी की व्यवस्था करने में भी नाकाम हो जाते हैं। मजबूरी और गरीबी की वजह से लोगों को भूखे पेट ही सोना पड़ जाता है। लेकिन ऐसा नहीं है कि इस तरह के जरूरतमंद लोगों की मदद के लिए लोग सामने नहीं आते हैं। इसी के मद्देनजर क्योंकि कोई भूखा ना सो जाए के उद्देश्य के साथ।
बेगूसराय शहर में साईं की रसोई की शुरूआत की गई। पांच रुपया सहयोग राशि लेने के सवाल पर टीम के सदस्यों ने कहा कि लोगों को यह महसूस नहीं हो कि उन्हें मुफ्त में खाना दिया जा रहा है, भोजन के महत्व को वो समझ सकेगें, इसलिए पांच रुपए की सहयोग राशि ली जाती है। 29 अगस्त 2022 को रसोई ने 3 वर्ष पूरे कर लिये हैं और आशा है कि यह रसोई लगातार यूं ही बिना थके बिना रुके चलती रहेगी।
बेगूसराय से सुमित कुमार (बबलू)