डीएनबी भारत डेस्क
धर्मनिरपेक्ष राष्ट्रवाद की विफलता ही धर्म आधारित राष्ट्रवाद के उदय का कारण है। भारतीय राष्ट्रवाद की पुन: व्याख्या को धर्म विशेष के तौर पर राष्ट्रप्रेम को दर्शाया जा रहा है। उक्त बातें मिथिला इतिहास संस्थान के निदेशक प्रो धर्मेंद्र कुंवर ने सोमवार को आरबीएस कॉलेज तेयाय में आयोजित “भारतीय राष्ट्रवाद की पुनर्व्याख्या” विषय पर आयोजित सेमिनार में कही। उन्होने कहा कि वर्तमान समय में पूरे देश में राष्ट्रवाद पर विचार मंथन चल रहा है। इसे पुन: व्याख्या अपने अपने तरीके से भी करने का प्रयास किया जा रहा है। इससे राष्ट्रपेम की पुरानी धारणा और नये विचारों में लगातार टकराहट उत्पन्न हो रही है।
आरबीएस कॉलेज तेयाय में मुंशी प्रेमचंद की जयंती पर आयोजित सेमिनार में मिथिला इतिहास संस्थान के शोधार्थी डॉ सुशांत भास्कर ने कहा कि भारतीय राष्ट्रवाद फूलों के गुलदस्ता की तरह है। लेकिन कुछ संगठन एक विशेष प्रकार के फूलों से गुलदस्ता तैयार करने के लिए ही नया राष्ट्रवाद की व्याख्या करना चाहते हैं। कार्यक्रम की अध्यक्षता इतिहास विभाग के प्रो अजय कुमार सिंह ने की जबकि संचालन कॉलेज के प्रधानाचार्य डॉ गाजी सलाउद्दीन ने किया।
मौके पर प्रो देवकीनंदन व्यास ने कहा कि वेदों में ही राष्ट्रवाद का उद्भव हो चुका है। मौके पर कॉलेज के पूर्व प्राचार्य अभिलाष कुमार दत्त, नीरज कुमार, डॉ पूनम सिन्हा, देवेन्द्र कुमार राय, सुभाष कुमार चौधरी, नीलू कुमारी आदि लोगों ने भी अपनी बातें रखी। इस अवसर पर कॉलेज के दर्जनों शिक्षक व छात्र मौजूद थे। कार्यक्रम से पूर्व अतिथियों ने कॉलेज के संस्थापक शहीद रामबिलास सिंह के स्मारक पर फूल माला चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित किया।
तेघड़ा, बेगूसराय से शशिभूषण भारद्वाज