संस्कृति के चार अध्याय में वैश्विक संस्कृति, सामाजिक समरसता और राजनीतिक ज्ञान का बोधक है राष्ट्रकवि दिनकर की रचना-आनंद शंकर

सिमरिया के हर बच्चे में दिनकर की प्रतिछाया दिखती है, राष्ट्रकवि दिनकर की कविता संघर्ष के लिए प्रेरित करती है- पुष्कर

डीएनबी भारत डेस्क 

 

 

बेगूसराय- राष्ट्रकवि दिनकर स्मृति विकास समिति के तत्वावधान में नौ दिवसीय दिनकर जयंती समारोह के पांचवें दिन मंगलवार को राजकीयकृत मध्य विद्यालय सिमरिया में दिनकर जयंती समारोह का आयोजन किया गया। मुख्य अतिथि प्रत्यक्ष गवाह के संपादक पुष्कर प्रसाद सिंह ने कहा दिनकर की कविता संघर्ष के लिए प्रेरित करती है। सिमरिया के हर बच्चे में दिनकर की प्रतिछाया दिखती है। उन्होंने कहा कि राजनीति करने वाले भी दिनकर की कविता का भरपूर उपयोग करते हैं। आज जब देश कॉरपोरेट के हवाले किया जा रहा है तब दिनकर और अधिक प्रासंगिक हो जाते हैं। वहीं साहित्यकार आनंद शंकर ने कहा कि संस्कृति के चार अध्याय में वैश्विक संस्कृति, सामाजिक समरसता और राजनीतिक ज्ञान का बोधक है राष्ट्रकवि दिनकर की रचना। सामाजिक न्याय की धारा को सबसे मजबूत करने वाले कवि दिनकर थे हैं और रहेंगे। उन्होंने मानवता की आन हमारे दिनकर जी, बिहार की शान हमारे दिनकर जी कविता का पाठ किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए दिनकर पुस्तकालय के अध्यक्ष विश्वंभर सिंह ने दिनकर साहित्य के बारे में विस्तार से चर्चा की। वहीं पत्रकार प्रवीण प्रियदर्शी ने कहा कि दिनकर हमसबों के लिए हमेशा प्रासांगिक रहेंगे। बच्चों को दिनकर की कविताओं को आत्मसात करने की जरूरत है। समारोह को समिति के अध्यक्ष कृष्ण कुमार शर्मा, प्रखंड प्रमुख अनिता देवी, शैलेश कुमार, राजेन्द्र राय नेताजी आदि ने संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन विद्यालय के शिक्षक देवकांत पोद्दार एवं धन्यवाद ज्ञापन लक्ष्मणदेव कुमार ने किया। कार्यक्रम की शुरुआत राष्ट्रकवि दिनकर के तैल्य चित्र पर माल्यार्पण एवं दीप प्रज्ज्वलित कर किया गया। कार्यक्रम के प्रारंभ ने स्कूली बच्चों ने स्वागत गान प्रस्तुत किया। वहीं 60 बच्चों ने दिनकर की कविताओं का पाठ किया। मौके पर समारोह समिति के सचिव प्रदीप कुमार, कोषाध्यक्ष रामनाथ सिंह, अमरदीप सुमन, दीनबंधु कुमार, एके मनीष, गुलशन कुमार, अमन गौतम, विद्यालय शिक्षक अमर कुमार, अब्दुल कादिर, कृष्ण कुमार राय, जयश्री, रेणु देवी आदि मौजूद थे।

Comments (0)
Add Comment