विस के सत्तारूढ़ दल के सचेतक राजकुमार सिंह ने भाजपा को लिया आड़े हाथों, शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के बयान पर कहा…

रामचरित्र मानस विवाद मे जहाँ बिहार की राजनीति गरमाई हुई है वहीं इस विवाद में रोज नये नए-नए बयान सामने आ रहे हैं। इसी कड़ी में जदयू के सचेतक और मटिहानी के विधायक राजकुमार सिंह ने शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर के ज्ञान पर ही सवाल खड़ा कर दिया है। वही सनातन धर्म के संरक्षक बताने वाले बीजेपी को भी आड़े हाथ लिया। पत्रकारों से पूछे गए एक सवाल के जवाब में राजकुमार सिंह ने स्पष्ट तौर पर कहा है कि अगर अज्ञानता बस इस तरह के बयान दिए गए है तो शिक्षा मंत्री यह बयान वापस ले लें। लेकिन इस तरह का बयान अगर राजनीतिक फायदे के लिए दिया गया है तो यह दुर्भाग्यपूर्ण है। इस तरह का बयान ना तो समाज के लिए और ना ही महागठबंधन की सरकार के लिए सही है।

वहीं उन्होंने खुद को सनातन धर्म का संरक्षक बताने वाले भाजपा को भी आड़े हाथो लेते हुए कहाँ की भाजपा के नेता और शीर्ष नेतृत्व को सनातन धर्म की प्रक्रिया को मानना चाहिए। राजकुमार सिंह ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मां की मृत्यु के उपरांत प्रधानमंत्री द्वारा सनातन धर्म की प्रक्रिया को पूरा नहीं करने पर था। उन्होंने कहा कि सवाल इस पर उठना चाहिए चर्चा इसपर भी होना चाहिए। राजकुमार सिंह का निशाना प्रधानमंत्री की मां की मृत्यु के उपरांत सर नहीं मुंडाने को लकेर था। राजकुमार सिंह ने साफ तौर पर कहा कि गरुड़ पुराण हिंदू धर्मावलंबियों का वह पुराण है जिसमें मृत्यु के उपरांत की प्रक्रिया का वर्णन है पर क्या प्रधानमंत्री के द्वारा इसका पालन किया गया। इस पर एक चर्चा मीडिया के द्वारा किया जाना चाहिए।

उन्होंने रामचरितमानस को लेकर कहा कि रामचरित मानस सामाजिक जीवन जीने का एक संविधान है हम लोग उसको इस रूप में मानते हैं। यह एक आदर्श ग्रंथ है जिसमे समाज में कैसे रहा जाय, कैसे जिया जाय, कैसे शांति पूर्ण भाई चारे का निर्माण हो ताकि सब कोई मिल जुल कर रह सके, इस बात का संदेश रामचरितमानस से मिलता है। उन्होंने कहा शिक्षा मंत्री चंद्रशेखर द्वारा एक दीक्षांत समारोह में रामचरितमानस के जिस चौपाई पर इस तरह की टिप्पणी की गयीं वह अवांछित है, इसपर विचार करने की जरुरत है। राजकुमार सिंह ने कहा कि अगर अज्ञानबस इस तरह का बयान दिया गया है तो निश्चित तौर से इसे वापस लेना चाहिए। उन्होंने कहा कि बिना संदर्भ को जानते हुए इसका विश्लेषण जिस तरह से किया गया इसको हमलोग अज्ञानता ही कह सकते है। उन्होंने कहा कि रामचरितमानस वह ग्रंथ है जिसकी एक-एक चौपाई या एक-एक शब्द का विश्लेषण किया जाए तो लोग इस पर पीएचडी कर सकते हैं।

उन्होंने कहा कि अपने राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए इसे बहुत ही संकुचित दायरे मे रखकर इसका विश्लेषण करना कही से भी उचित नहीं है। शिक्षा मंत्री का यह बयान किसी राजनीतिक उद्देश्य की पूर्ति के लिए दिया गया है इस तरह का बयान न तो समाज के लिए ना ही महागठबंधन की सरकार के लिए सही है। उन्होंने कारवाई के संबंध मे कहा कि जब समय आएगा तो तेजस्वी यादव निश्चित तौर पर कार्रवाई करेंगे लेकिन तेजस्वी यादव ने जिस तरह से बयान दिया है कि कुछ लोग बयान वीर बनने मे लगे है उनका ये इशारा काफी है। समय आने पर मुकम्मल कार्रवाई भी होगी ये तय है।

उन्होंने कहा कि शिक्षा मंत्री ने जिस चौपाई का उल्लेख किया उसका कांटेक्स क्या था इसे लोगो को जानना चाहिए। उन्होंने बताया कि रामचरितमानस में इस चौपाई का उपयोग कबंध उद्दार राक्षस प्रसंग से जुड़ा हुआ है। कबंध एक ऐसा राक्षस था जिसका सर नहीं था उसका सर उसके पेट में था पर वो अज्ञान के कारण दम्भी बना हुआ था जिसने दुर्वाशा ऋषि की शिकायत भगवान राम से की थी। उसी प्रसंग मे कही गयीं इस चौपाई का इतना बतंगर बना दिया गया। उन्होंने कहा कि रामचरित मानस किसी भी धर्म किसी भी जाति का अपमान नहीं करता है। इसका एक एक शब्द का बहुत ही व्यापक अर्थ रखता है। एक सवाल के जवाब में राजकुमार सिंह ने सनातन धर्म का संरक्षक कहने वो वाली भाजपा को पहले सनातन धर्म को जानना चाहिए और उसका पालन करना चाहिए। उनका निशाना प्रधानमंत्री की मां की मृत्यु के उपरांत प्रधानमंत्री द्वारा सनातन धर्म का सही ढंग से पालन नहीं करने और खास तौर पर सर नहीं मुड़ाने को लेकर था।

बेगूसराय से सुमित कुमार (बबलू)

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